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गजब! उच्च शिक्षा की चुनावी गोली

जागरण संवाददाता कोटद्वार इसे विडंबना ही कहा जाए कि एक ओर उत्तराखंड राज्य गठन के बाद

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 07:16 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 07:47 PM (IST)
गजब! उच्च शिक्षा की चुनावी गोली
गजब! उच्च शिक्षा की चुनावी गोली

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: इसे विडंबना ही कहा जाए कि एक ओर उत्तराखंड राज्य गठन के बाद प्रदेश में नए महाविद्यालयों की बाढ़ सी आ गई, वहीं दूसरी ओर चार दशक पूर्व सृजित हुए महाविद्यालय आज भी उसी कला संकाय के भरोसे संचालित है, जिसकी मान्यता चार दशक पूर्व मिली थी। बात हो रही है प्रखंड वीरोंखाल के अंतर्गत डा. शिवानंद नौटियाल राजकीय महाविद्यालय वेदीखाल की, जहां आज भी विज्ञान व वाणिज्य विषय की पढ़ाई नहीं हो रही है।

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नौ फरवरी 1980 को स्थापित वेदीखाल महाविद्यालय में चार दशक बाद भी सिर्फ कला वर्ग की कक्षाओं का ही संचालन हो रहा है। नतीजा, विज्ञान और वाणिज्य विषय पढ़ने वाले छात्रों को सौ किमी से अधिक दूरी तय कर कोटद्वार, रामनगर अथवा पौड़ी जाना पड़ता है। ऐसा नहीं कि स्थानीय जनता की ओर से महाविद्यालय में वाणिज्य व विज्ञान संकाय की कक्षाएं शुरू करने के लिए आवाज नहीं उठाई गई। लेकिन, दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र से उठी यह आवाज देहरादून में बैठे सत्तासीनों अथवा अधिकारियों के कानों तक कभी पहुंच ही नहीं पाई। अलबत्ता, चुनावी वर्षों में जनता को महाविद्यालय में विज्ञान व वाणिज्य कक्षाएं शुरू किए जाने का आश्वासन अवश्य मिल जाता है। यहां यह बताना बेहद जरूरी है कि वर्तमान में कला संकाय में 220 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

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यह हुए प्रयास

राजकीय महाविद्यालय वेदीखाल में विज्ञान व वाणिज्य संकाय की कक्षाएं शुरू करवाने के लिए आमजन की ओर से समय-समय पर शासन-प्रशासन व क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों से पत्र व्यवहार किया जाता रहा है। 2007 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव थे, जिसके चलते सितंबर 2006 में शासन ने इस महाविद्यालय को स्नातक स्तर पर विज्ञान संकाय के अंतर्गत भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, जंतु विज्ञान व वनस्पति विज्ञान को स्थायी संबद्धता जारी किए जाने के निर्देश जारी हुए। डेढ़ दशक बीत गया, लेकिन आज भी इस आदेश के अनुरूप कक्षाएं संचालित नहीं हो पा रही हैं। एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पूर्व शासन ने इस महाविद्यालय में रसायन विज्ञान, जंतु विज्ञान व वनस्पति विज्ञान विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के अस्थायी पदों को सृजित किए जाने संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है। सामाजिक कार्यकत्र्ता व चीड़ हटाओ आंदोलन के प्रणेता रमेश बौड़ाई का स्पष्ट कहना है कि वर्तमान में महाविद्यालय में न तो प्रयोगशालाएं हैं और न ही विद्यार्थी। ऐसे में सरकार की ओर से पदों को सृजित करना समझ नहीं आ रहा है।

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एक ओर सरकार प्रदेश में महाविद्यालयों की बाढ़ ला रही है, वहीं दूसरी ओर पूर्व में खोले गए महाविद्यालयों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। वेदीखाल महाविद्यालय को विज्ञान संकाय की स्थायी मान्यता व सभी विषयों में शिक्षकों की तैनाती के लिए यदि आंदोलन करना पड़े तो जनसहयोग से आंदोलन भी किया जाएगा।

राजेश कंडारी, क्षेत्र पंचायत प्रमुख वीरोंखाल

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विज्ञान विषय में पांच पदों के लिए शासन में प्रस्ताव भेजा गया था, जिनमें से तीन पद सृजित हुए हैं। कला संकाय में अध्ययनरत 10 छात्र-छात्राओं ने विज्ञान संकाय में प्रवेश के लिए प्रार्थना पत्र दिया, जिनमें से चार को सृजित विषयों में प्रवेश दिया गया है। अन्य छात्र-छात्राओं को गणित व भौतिकी के पद सृजित होने का इंतजार है।

डा. देवेश भट्ट, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, वीरोंखाल


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