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बरस रहा आजादी का अमृत, स्मृतियां आज भी प्यासी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 03:00 AM (IST)
बरस रहा आजादी का अमृत, स्मृतियां आज भी प्यासी
बरस रहा आजादी का अमृत, स्मृतियां आज भी प्यासी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। 12 मार्च 2021 से शुरू हुआ अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2023 तक चलेगा। अमृत महोत्सव के दौरान आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले क्रांतिकारियों को भी याद किया जा रहा है। लेकिन, क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की स्मृतियां आज भी इस अमृत से प्यासी हैं। बात हो रही है लैंसडौन वन प्रभाग की दुगड्डा रेंज के अंतर्गत स्थित उस आजाद पार्क की, जहां एक पेड़ पर आजाद ने अपनी अचूक निशानेबाजी का प्रदर्शन किया था। सरकारी सिस्टम की अनदेखी देखिए कि न तो पेड़ को संरक्षित कर पाए और न ही आजाद की स्मृति में बना पार्क अपने मकसद में कामयाब हो पाया।

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आजाद ने दिखाई थी अचूक निशानेबाजी

चंद्रशेखर आजाद को कौन नहीं जानता, लेकिन कम ही लोग ऐसे हैं जिन्हें यह पता है कि ऐतिहासिक दुगड्डा से आजाद का गहरा वास्ता था। नाथूपुर (दुगड्डा) निवासी क्रांतिकारी भवानी सिंह रावत के आग्रह पर 1930 में चंद्रशेखर आजाद साथियों रामचंद्र, हजारीलाल, छैल बिहारी, विशंभर दयाल के साथ दुगड्डा आए और उन्हें शस्त्र प्रशिक्षण दिया। लैंसडौन वन प्रभाग की दुगड्डा रेंज के अंतर्गत साझासैंण के समीप वन क्षेत्र में शस्त्र प्रशिक्षण के दौरान आजाद ने साथियों के आग्रह पर वृक्ष के एक छोटे से पत्ते पर निशाना साध अपनी पिस्टल से फायर किए। छह फायर हुए, लेकिन पत्ता हिला तक नहीं। साथी समझते रहे कि निशाना चूक रहा है। लेकिन, जब वे पेड़ के पास पहुंचे तो देखा कि गोलियां पत्ते को भेदती हुई पेड़ के तने में धंस गई थी।

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स्मृतियां नहीं संजो पाया सिस्टम

देश आजाद हुआ तो वृक्ष के रूप में आजाद की स्मृतियों को चिरस्थायी रखने की जिम्मेदारी सरकारी सिस्टम की थी। लेकिन, सिस्टम ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया और 12 मई 2006 को वृक्ष का एक बड़ा हिस्सा टूट गया। वृक्ष टूटने के बाद सिस्टम की नींद टूटी। लेकिन, तब तक पूरा पेड़ खराब हो गया था। सरकारी तंत्र ने संरक्षण के नाम पर पेड़ के समीप ही बने आजाद पार्क में टीन शेड डालकर इस पेड़ के तनों को दीमकों के लिए रख दिया।

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तीन वर्ष हुए प्रयास, आज बदहाल

वर्ष 2018 में लैंसडौन वन प्रभाग ने आजाद पार्क का सुंदरीकरण करते हुए वहां चंद्रशेखर आजाद की आदमकद प्रतिमा लगाई। साथ ही टूटे पेड़ के एक हिस्से का ट्रीटमेंट कर उसे पार्क में स्थापित कर दिया। साथ ही आजाद की दुगड्डा यात्रा का पूर्ण वृत्तांत भी लिखा गया और पार्क में आजाद के जीवन से जुड़ी घटनाओं को चित्रों के माध्यम से पार्क की दीवारों पर उकेरा गया। आमजन को भी महसूस हुआ कि महकमे ने आजाद के नाम की लाज रख दी। लेकिन, जीर्णोद्धार के बाद खुद विभाग इस पार्क को भूल गया। नतीजा, आज यह पार्क न सिर्फ असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है, बल्कि आजाद के नाम पर बदनुमा दाग नजर आ रहा है।

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पार्क के सुंदरीकरण को शासन में प्रस्ताव भेजा था। लेकिन, बजट के अभाव में प्रस्ताव लंबित हैं, एक वन प्रहरी को पार्क की देखरेख के लिए तैनात किया गया है। रेंज कार्यालय जन सहयोग से पार्क में फूलों के पौधे लगाकर पार्क में फूलों का पूरा बगीचा तैयार करेगा।

किशोर नौटियाल, रेंज अधिकारी, दुगड्डा रेंज, लैंसडौन वन प्रभाग


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