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आखर ज्ञान से जगमग होते जंगल के 'जुगनू'

संवाद सहयोगी, कोटद्वार : जंगलों की खाक छानने वाले वन गुर्जरों के बच्चे अब उनकी तरह जंगलों की खाक नही

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 04:48 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 04:48 PM (IST)

संवाद सहयोगी, कोटद्वार : जंगलों की खाक छानने वाले वन गुर्जरों के बच्चे अब उनकी तरह जंगलों की खाक नहीं छानेंगे , बल्कि पढ़ लिखकर समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे। सरकार ने उनके लिए सुदूर जंगलों में स्कूल खोल दिए हैं जहां वे भी क,ख,ग सीख रहे हैं। दुगड्डा ब्लाक के सिगड्डी स्रोत व कोल्हूचौड़ के जंगलों में गत वर्ष से प्राथमिक स्कूलों का संचालन हो रहा है।

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लैंसडौन वन प्रभाग के कोल्हूचौड़ में करीब पंद्रह परिवार वन गुर्जर निवास करते हैं, जबकि इतने ही परिवार सिगड्डी स्रोत में रहते हैं। एक जुलाई वर्ष 2014 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत जंगल में ही गुर्जरों के बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय शुरू किए गए। इसी क्रम में कोल्हूचौड़ व सिगड्डी स्रोत में भी स्कूलों का संचालन शुरू हुआ। वर्तमान में सिगड्डी स्रोत में 27 व कोल्हूचौड़ में 30 छात्र पढ़ रहे हैं। दोनों विद्यालयों में दो-दो शिक्षकों की तैनाती की गई है। एक वर्ष के सफल संचालन के बाद अभी पहली व दूसरी कक्षाओं का ही संचालन हो रहा है।

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'रिजर्व फारेस्ट में स्कूल के लिए भवन निर्माण की अनुमति नहीं हैं। ऐसे में स्कूल का संचालन कच्ची झोपड़ी में करने की अनुमति दी गई है।

नितीश मणि त्रिपाठी, डीएफओ, लैंसडौन वन प्रभाग,कोटद्वार।

'सर्व शिक्षा के तहत वर्ष 2014 में वन गुर्जरों के बच्चों के लिए दो स्कूल खुले थे। दोनों स्कूलों का वर्तमान में संचालन हो रहा है। अगले माह स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा।

मोनिका बम, उप शिक्षा अधिकारी (बेसिक)।'


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