World Elephant Day 2022 : उत्तराखंड हाथियों के लिए सुरक्षित, पर कारीडोर बचाना जरूरी
World Elephant Day 2022 हाथी को जंगल का इंजीनियर कहा जाता है। गश्त समेत अन्य कामों में पालतू हाथी विभाग के सहयोगी की भूमिका निभाते हैं। आमतौर पर यह वन्यजीव जल्दी आक्रामक भी नहीं होते। तराई के जंगलों में हाथियों की अच्छी संख्या है।
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : World Elephant Day 2022 : उत्तराखंड के जंगल हाथियों के लिए सबसे सुरक्षित आशियाना हैं। 2020 में राज्य में हाथियों की संख्या बढ़कर 2026 पहुंच गई। इस दौरान एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि हाथी मैदान से पहाड़ की तरफ भी चढऩे लग गए। कुमाऊं में 1500 मीटर की ऊंचाई तक इनकी मौजूदगी के अप्रत्यक्ष प्रमाण मिले। यह क्षेत्र कार्बेट से सटा था।
सात साल में 185 हाथियों की मौत
उत्तराखंड में साल 2015 से 21 के बीच यानी सात साल में 185 हाथियों को अलग-अलग वजहों से जान गंवानी पड़ी। आपसी संघर्ष और बीमारी भी इसके पीछे वजह है। कोरीडोर पर अतिक्रमण होने के कारण आबादी में पहुंचने वाले हाथी अक्सर अक्रामक भी हो जाते हैं। ऐसे में वन विभाग को हाथी गलियारों को लेकर गंभीरता बरतने की जरूरत है। राज्य में 11 चिन्हित हाथी कोरीडोर है।
कार्बेट के पास वर्तमान में 16 पालतू हाथी
कार्बेट के पास वर्तमान 16 पालतू हाथी है। जंगल गश्त मेंं इनकी अहम भूमिका है। खासकर बरसात के दिनों में रास्तों के खराब होने पर इनकी मदद से ही संवेदनशील क्षेत्र में गश्त की जाती है। वन विभाग की फंसी गाडिय़ों को निकालने में भी यह क्रेन की तरह मदद करते हैं। इसके अलावा किसी बीमार या हमलावर बाघ को जंगल से बाहर करने के लिए ट्रैंकुलाइज टीम के लिए हाथी ही सहारा बनता है।
बाघों को रेस्क्यू करने में हाथियों को लगाया
टीम के हाथी पर सवार होने से उनका जोखिम भी कम हो जाता है। डेढ़ साल पहले कार्बेट (corbett national park) से दो बाघों को राजाजी (Rajaji National Park) भेजने का अभियान शुरू हुआ था। तब हाथियों की मदद से इन्हें रेस्क्यू किया गया था। यह सब चीजें इस बात का प्रमाण है कि हाथी जंगल को बढ़ाने, बचाने और विभाग के संकट को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है।
हाथी जंगल का इंजीनियर
हाथी जंगल का संरक्षक और रक्षक होने के साथ वन विभाग के संकट का साथी भी है। जंगल में घूमते हुए वह फलों के बीच और पत्तियों को जमीन पर गिराता है। हाथी का मल खाद का काम कर नई पौध तैयार करता है। इसीलिए इसे जंगल को इंजीनियर भी कहा जाता है। कार्बेट नेशन पार्क और राजाजी नेशनल पार्क में पालतू हाथियों से गश्त करा उनसे फ्रंटलाइन स्टाफ की तरह काम लिया जाता है।
उत्तराखंड में हाथी गणना की स्थिति
साल हाथी
2001 1507
2003 1582
2005 1510
2007 1346
2012 1559
2015 1797
2017 1839
2020 2026
हाथी जंगल का इंजीनियर
वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त दीप चंद्र आर्य ने बताया कि हाथी को जंगल का इंजीनियर कहा जाता है। गश्त समेत अन्य कामों में पालतू हाथी विभाग के सहयोगी की भूमिका निभाते हैं। आमतौर पर यह वन्यजीव जल्दी आक्रामक भी नहीं होते। तराई के जंगलों में हाथियों की अच्छी संख्या है।