प्रवक्ता पदों पर नियुक्ति के लिए दोबारा संशोधित सूची क्यों, जब पद ही समाप्त कर दिए HIGH COURT UTTARAKHND
हाई कोर्ट ने प्रवक्ता पदों पर नियुक्ति के मामले में विद्यालयी शिक्षा विभाग से पूछा है कि दोबारा संशोधित सूची निकालने की वजह क्या रही जबकि पद पूर्व में ही समाप्त कर दिए थे।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने प्रवक्ता पदों पर नियुक्ति के मामले में सुनवाई करते हुए विद्यालयी शिक्षा विभाग से पूछा है कि दोबारा संशोधित सूची निकालने की वजह क्या रही, जबकि पद पूर्व में ही समाप्त कर दिए थे। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में खांकर गांव अल्मोड़ा निवासी सुनील की याचिका पर सुनवाई हुई। उसका कहना था कि राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा 2015 में प्रवक्ताओं की भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। याची प्रवक्ता अंग्रेजी के पद पर चयनित हुआ था और उसे ओखलकांडा के मिडार में नियुक्ति दी गई थी। मगर पिता की बीमारी की वजह से ज्वाइन नहीं कर सके। विभाग को प्रत्यावेदन देकर नियुक्ति स्थान में संशोधन का आग्रह किया गया था मगर विभाग द्वारा कहा गया कि जिन अभ्यर्थियों द्वारा तैनाती स्थान पर ज्वाइनिंग नहीं दी गई है, उनके पद रिक्त मानते हुए आयोग को भेज दिए गए हैं। 29 जनवरी को सचिव विद्यालयी शिक्षा द्वारा 21 चयनित अभ्यर्थियों की संशोधित सूची जारी की गई, जिसमें याची का नाम नहीं था। इस सूची को याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि जब पद समाप्त हो चुके थे तो संशोधित सूची किस आधार व किन परिस्थितियों में जारी की गई। यह भी कहा कि संशोधित सूची में एक नाम दूसरे याचिकाकर्ता का भी है, मगर इस याचिकाकर्ता का नहीं है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद विद्यालयी शिक्षा विभाग को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।
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