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वित्तीय प्रबंधन में लापरवाही क्यों : हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने राज्य में वित्तीय लेनदेन डिजिटल माध्यम से करने के लिए सरकार अधिकृत कंपनी की वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्रालय राज्य वित्त विभाग पेंशन निदेशालय अपर सचिव वित्त अरुणेंद्र सिंह चौहान इंड्स वेब्स सॉन्यूशन कंपनी तथा एनआइसी को नोटिस जारी किया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 07:58 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:20 AM (IST)
वित्तीय प्रबंधन में लापरवाही क्यों : हाई कोर्ट

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने राज्य में वित्तीय लेनदेन डिजिटल माध्यम से करने के लिए सरकार अधिकृत कंपनी की वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्रालय, राज्य वित्त विभाग, पेंशन निदेशालय, अपर सचिव वित्त अरुणेंद्र सिंह चौहान, इंड्स वेब्स सॉन्यूशन कंपनी तथा एनआइसी को नोटिस जारी किया है।

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आरटीआइ क्लब देहरादून की अध्यक्ष सीमा भट्ट ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि सरकार द्वारा राज्य में वित्तीय प्रबंधन बेहतर करने के लिए इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर या आइएसएमएस सॉफ्टवेयर संचालन की जिम्मेदारी इंडस वेब्स सॉन्यूशन कंपनी को दी गई मगर कंपनी द्वारा नियमों को ताक पर रखकर वित्तीय प्रबंधन में गड़बड़ी की जा रही है। सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी की वजह से किसी कर्मचारी को तीन माह का वेतन एक साथ दे दिया तो ऐसे भी कर्मचारी हैं, जिन्हें तीन माह से वेतन नहीं मिला। कतिपय कर्मचारियों के वेतन का पैसा जीपीएफ में चला गया। एक कार्मिक को 14 हजार का भुगतान करना था, मगर कंपनी द्वारा एक करोड़ भुगतान कर दिया। पुलिस विभाग, शिक्षा विभाग, पीएसी व अन्य के अलावा कर्मचारियों द्वारा भी सॉफ्टवेयर की गड़बडि़यों को लेकर शिकायत की गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार कंपनी को वित्तीय प्रबंधन का कोई अनुभव नहीं है। आरोप लगाया कि कंपनी को सरकारी अधिकारियों का संरक्षण मिला है। यही वजह है कि टेंडर की शर्तो के अनुसार कंपनी को कार्य के लिए कर्मचारी रखने थे मगर सरकारी कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। कंपनी को इंटीग्रेटेड मॉनीटरिग की दक्षता हासिल नहीं है। यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है, लिहाजा कंपनी का टेंडर निरस्त किया जाए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं जबकि अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।


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