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Water Crisis in Uttarakhand: बूंद-बूंद पानी को हाहाकार...जलस्रोत सूख रहे... मैदान से पहाड़ तक बढ़ा संकट

Water Crisis in Uttarakhand भीषण गर्मी व बरसात नहीं होने के चलते गौला नदी का जल प्रवाह दो क्यूसेक कम हो गया है। बारिश नहीं हुई तो काठगोदाम का भूजल स्तर 574 फीट तक नीचे पहुंच जाएगा। जल संस्थान के सहायक अभियंता रविंद्र कुमार ने बताया कि दमुवाडूंगा हिम्मतपुर साई मंदिर राजपुरा स्थित गौलागेट इंदिरानगर आदि क्षेत्रों में पेयजल संकट बना हुआ है।

By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Sun, 19 May 2024 03:20 PM (IST)
Water Crisis in Uttarakhand: बूंद-बूंद पानी को हाहाकार...जलस्रोत सूख रहे... मैदान से पहाड़ तक बढ़ा संकट
Water Crisis in Uttarakhand: बूंद-बूंद पानी को हाहाकार, जल स्रोत भी सूखे

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: Water Crisis in Uttarakhand: भीषण गर्मी व बरसात नहीं होने के चलते गौला नदी का जल प्रवाह दो क्यूसेक कम हो गया है। वर्तमान में जल प्रवाह 62 क्यूसेक है, जबकि इससे पहले 64 क्यूसेक था। यही नहीं एक हफ्ते पूर्व जल प्रवाह 66 क्यूसेक नापा गया था।

अगर बरसात नहीं हुई तो स्थिति और से जल संस्थान को 30 क्यूसेक ही पानी मिल रहा है। अगर जलस्तर और कम हुआ तो यह भी मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसके बाद हल्द्वानी में पानी ये को लेकर परेशानियां और बढ़ जाएंगी।

जल संस्थान के सहायक अभियंता रविंद्र कुमार ने बताया कि दमुवाडूंगा, हिम्मतपुर, साई मंदिर, राजपुरा स्थित गौलागेट, इंदिरानगर आदि क्षेत्रों में पेयजल संकट बना हुआ है। इससे कुल 14 टैंकरों के माध्यम से प्रभावित क्षेत्रों में टैंकर से सप्लायी की जा रही है। सभी टैंकर पांच फेरे लगाते हैं, 14 टैंकरों ने कुल 70 फेरे लगाए हैं।

बारिश नहीं हुई तो काठगोदाम में 574 फीट नीचे पहुंचेगा जल स्तर

बारिश नहीं हुई तो काठगोदाम का भूजल स्तर 574 फीट तक नीचे पहुंच जाएगा। सर्दियों में यही जल स्तर 525.8 फीट रहता है। हल्दूचौड़ में सर्दियों में 200 तो गर्मियों में 250 फीट नीचे पहुंच जाता है। लालकुआं में सर्दियों में 459.2 तो गर्मियों में 492 फीट जलस्तर नीचे पहुंच जाता है।

नलकूप डिविजन के सहायक अभियंता सुनील कांडपाल ने बताया कि बारिश नहीं हुई तो स्थिति खराब हो सकती है। इधर, जल संस्थान के अधिशासी अभियंता रविशंकर लोशाली ने बताया कि गर्मियों में दमुवादूंगा, काठगोदाम आदि क्षेत्रों का जलस्तर नीचे पहुंचने लगता है।

बूंद-बूंद पानी को हाहाकार, जल स्रोत भी सूखे

गरमपानी: समीपवर्ती मंडलकोट गांव में बूंद बूंद पानी को हाहाकार मच गया है। पेयजल संकट गहराने से गांव के बाशिंदे वाहनों के जरिए दूर दराज से पानी ढोने को मजबूर हो चुके हैं। गांव के नजदीक प्राकृतिक जल स्रोत भी सूखने के कगार पर पहुंच गया है। ग्रामीणों ने टैंकरों के जरिए गांव में पेयजल आपूर्ति की पुरजोर मांग उठाई है।

अनदेखी पर आंदोलन की चेतावनी दी है। पहाड़ के गांवों में सुविधाओं के साथ ही अब बूंद बूंद पानी का भी अकाल पड़ गया है। मूलभूत जरुरतों के लिए तरस रहे ग्रामीण अब पीने के पानी तक को मोहताज हो गए हैं। बारिश न होने प्राकृतिक जल स्रोत भी सूखते जा रहे हैं। समीपवर्ती मंडलकोट गांव में भी हालात विकट है। गांव के नजदीक प्राकृतिक जल स्रोत में पानी कम होने से गांव के करीब पचास से ज्यादा परिवार परेशान हैं।

बूंद बूंद पानी को मोहताज हो चुके गांव के बाशिंदे वाहनों में किराया खर्च कर दूरदराज से पानी ढोने को मजबूर हो चुके हैं। हालात बिगड़ने से ग्रामीण परेशान हैं पर सुधलेवा कोई नहीं है‌। गांव के राम सिंह, देवेन्द्र सिंह, कुन्दन सिंह, बचें सिंह, रणजीत सिंह बिष्ट, पान सिंह, मोहन सिंह, देव सिंह, गोधन सिंह, पूरन सिंह, प्रेमा देवी, मीना देवी, चम्पा देवी, कमला देवी, कौशल्या देवी आदि ने टैंकरों के जरिए पेयजल आपूर्ति किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।