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पहाड़ पर सर्दी में भी पानी का संकट बरकरार, दूर-दराज के प्राकृति स्रोत से लाते हैं ग्रामीण

पर्वतीय क्षेत्रों में सर्दियों में भी पेयजल संकट परेशानी का सबब बन गया है। हाड़कंपाती ठंड में भी ग्रामीण हलक तर करने की जद्दोजहद कर रहे हैं। आलम यह है कि अब पानी ढोने का जिम्मा नौनिहालों पर भी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 12:26 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 12:26 PM (IST)
पहाड़ पर सर्दी में भी पानी का संकट बरकरार, दूर-दराज के प्राकृति स्रोत से लाते हैं ग्रामीण
पहाड़ पर सर्दी में भी पानी का संकट बरकरार, दूर-दराज के प्राकृति स्रोत से लाते हैं ग्रामीण

गरमपानी, जेएनएन : पर्वतीय क्षेत्रों में सर्दियों में भी पेयजल संकट परेशानी का सबब बन गया है। हाड़कंपाती ठंड में भी ग्रामीण हलक तर करने की जद्दोजहद कर रहे हैं। आलम यह है कि अब पानी ढोने का जिम्मा नौनिहालों पर भी है। छोटे-छोटे बच्चे गांवो तथा सड़कों पर पानी ढोते साफ देखे जा सकते हैं।

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नैनीताल जनपद के बेतालघाट ब्लॉक तथा अल्मोड़ा जनपद के ताडी़खेत ब्लॉक के तमाम गांवों में ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। बेतालघाट ब्लॉक के बसगांव, हरौली,ताडी़खेत समेत तमाम गांवों में पेयजल संकट है तो वहीं अल्मोड़ा जनपद के ताडी़खेत ब्लॉक के खुशालकोट, ज्याडी़, कनार, जैनोली, पिलखोली, उपराडी़, हल्दीयानी आदि गांव में भी ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं।

पहले बड़े, बूढ़े, महिलाएं दूरदराज से पानी ढोते थे पर अप छोटे-छोटे नौनिहाल भी पानी ढोने को मजबूर है। खेलने कूदने व पढ़ाई की उम्र में नौनिहालों के ऊपर पेयजल व्यवस्था की बडी़ जिम्मेदारी है। तमाम गांवों में नौनिहाल पानी ढोते साफ देखे जा सकते हैं बावजूद नीति नियंता गांव की सुध नहीं ले रहे। नौनिहालों के ऊपर जिम्मेदारी आ जाने से सरकार व उसके नुमाइंदों की मंशा पर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं।

गांव गांव विकास का दावा करने वाली सरकार के दावे धरातल में खोखले साबित हो रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार पेयजल व्यवस्था दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही मजबूरी में छोटे-छोटे बच्चे भी दूरदराज स्थित प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी ढोने को मजबूर है।

मानसिक विकास पर रुकावट का खतरा

कम उम्र में अपने वजन से ज्यादा पानी ढोने से कहीं ना कहीं बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर भी असर होना लाजमी है। सीएचसी गरमपानी की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. साक्षी के अनुसार कम उम्र में हाड़ तोड़ मेहनत बच्चों पर भारी पड़ सकती है हालांकि कुछ आराम व दवाइयों से शारीरिक विकास को ठीक किया जा सकता है पर कम उम्र में लगातार पानी ढोने से मानसिक विकास जरुर प्रभावित हो सकता है।


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