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    जब शासन-प्रशासन ने नहीं सुना तो 300 ग्रामीणों ने फावड़ा थामकर खुद सड़क न‍िर्माण की ठानी

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 15 Jun 2020 01:35 PM (IST)

    धरना-प्रदर्शन व अफसरों से गुहार लगाने के बावजूद जब 200 गांवों को जोडऩे वाली सड़क नहीं सुधारी ग्रामीणों का सब्र जवाब दे गया। ...और पढ़ें

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    जब शासन-प्रशासन ने नहीं सुना तो 300 ग्रामीणों ने फावड़ा थामकर खुद सड़क न‍िर्माण की ठानी

    हल्द्वानी, जेएनएन : धरना-प्रदर्शन व अफसरों से गुहार लगाने के बावजूद जब 200 गांवों को जोडऩे वाली सड़क नहीं सुधारी ग्रामीणों का सब्र जवाब दे गया। जिसके बाद हाथों में फावड़े-बेलचे लेकर सड़क पर उतार आए। कड़ी मेहनत के बाद पहाड़ी का कटान कर दुपहिया व पैदल निकलने के लिए रास्ता बना दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि आज फिर जेसीबी व श्रमदान कर सड़क को और चौड़ा किया जाएगा। ताकि बड़ी गाडिय़ां भी निकल सके। ग्रामीणों के मुताबिक प्रशासन, लोक निर्माण विभाग व जनप्रतिनिधियों द्वारा मायूस करने की वजह से उन्हें खुद सड़क सुधारने के लिए आगे आना पड़ा।

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    काठगोदाम से हैड़ाखान-सिमलिया छाननी मोटर मार्ग निकलता है। आगे जाकर यह सड़क रीठा साहिब व पिथौरागढ़ तक से कनेक्ट होती है। करीब 200 गांवों के हल्द्वानी से जुडऩे का यही एकमात्र रास्ता है। 24 फरवरी को काठगोदाम से 25 किमी आगे मुड़कुडिय़ा नामक जगह पर 25 मीटर लंबी सड़क खाई में समा गई। उसके बाद से लोगों को करीब 60 किमी भीमताल घूमकर आना पड़ा रहा था। देवीधुरा, चंपावत आदि इलाकों से आने वाले वाहन भी लंबा सफर कर रहे थे। सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों ने काफी संघर्ष किया।

     

    कमिश्नर, डीएम को ज्ञापन देने के साथ धरना-प्रदर्शन भी किया गया। मगर हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। रविवार सुबह पूर्व विधायक दान सिंह भंडारी के नेतृत्व में करीब 300 ग्रामीण फावड़े-बेलचे लेकर पहुंच गए। 40 किमी दूर तक से लोग पहुंचे थे। उसके बाद शुरू हुआ सड़क को खोलने का काम। करीब 25 मीटर तक पहाड़ी को तीन फीट काटने के बाद बाइक व पैदल निकलने का रास्ता बनाकर आवागमन शुरू भी कर दिया गया। लूगड़ निवासी विजय बोरा ने बताया कि आज फिर गांव वाले सड़क को दुरुस्त करने में जुटेंगे।

     

    जानि‍ए क्‍या कहा ग्रामीणों ने 

    पीताबंर दत्त, स्थानीय बुजुर्ग का कहना है कि सड़क टूटने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। जब हमें किसी से मदद नहीं मिली तो खुद जुट गए। गांववालों की मेहनत कामयाब होगी।

    पुरुषोत्तम दत्त, स्थानीय बुजुर्ग ने बताया कि अफसरों से कई बार कहा कि समस्या का समाधान कर दो, लेकिन किसी को हमारी परेशानी से मतलब नहीं। मजबूरी में युवाओं के साथ बुजुर्गों को भी जुटना पड़ा।

    दान सिंह भंडारी, पूर्व विधायक ने बताया कि चार महीने से ग्रामीण परेशान थे। उसके बावजूद सड़क को नहीं सुधारा गया। ग्रामीणों को सग लेकर रविवार को रास्ता बनाने का काम शुरू कर दिया गया।

    विजय बोरा, स्थानीय युवा ने बताया कि 200 गांवों के सामने संकट खड़ा हुआ, लेकिन सिर्फ झूठे आश्वासन ही मिले। ऐसे में संकल्प लिया कि इस परेशानी को खुद ही दूर करेंगे। आज फिर हम लोग काम पर जुटेंगे।

     

    काश्तकार-बीमार सब परेशान

    25 मीटर सड़क टूटने की वजह से लोगों को भीमताल होकर हल्द्वानी आना पड़ रहा था। ऐसे में काश्तकारोंं को अपनी पैदावर मंडी तक पहुंचाने में ज्यादा भाड़ा चुकाना पड़ रहा था। इसके अलावा बीमार खासकर गर्भवती महिलाओं के सामने संकट ज्यादा था।

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