हाथी की सूचना देने पर ग्रामीणों को मिल रही सैलरी, वन विभाग की मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने अनूठी पहल
हाथी को आबादी क्षेत्र में घुसने व फसलों को बचाने के लिए विभाग ने अनोखी पहल की है। वन विभाग ने तराई केंद्रीय डिवीजन की सात रेंज में करीब 40 ग्रामीणों को हाथी की सूचना देने की ड्यूटी पर तैनात किया है। इस काम का इन्हें वेतन भी मिलता है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि सूचना देने के बावजूद वन विभाग की टीम समय से मौके पर नहीं पहुंची। जबकि वन विभाग के अफसर कहते हैं कि हाथी या किसी अन्य वन्यजीव के आबादी पर पहुंचने की जानकारी मिलते ही महकमा अलर्ट हो जाता है। जिसके बाद रेंजर या फारेस्टर को मौके पर भेजा जाता है। ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटना न हो सके। इन सूचनाओं को समय से हासिल करने के लिए वन विभाग ने ग्रामीणों की ड्यूटी भी लगाई है। तराई केंद्रीय डिवीजन की सात रेंज में करीब 40 ग्रामीणों को वन्यजीवों खासकर हाथी की सूचना देने की ड्यूटी मिली है। दीवाली के बाद से यह लोग जुटे हैं। इस काम का इन्हें वेतन भी मिलता है। जवाबदेही और जिम्मेदारी रात में ज्यादा है। क्योंकि, भोजन की तलाश में आबादी किनारे खेतों में हाथी रात को ही पहुंचते हैं।
हल्द्वानी के रामपुर रोड और बरेली रोड पर हाथियों का आतंक परेशानी बन चुका है। अगस्त से जनवरी तक इनके आबादी में पहुंचने की घटनाएं ज्यादा होती है। रेंजर हल्द्वानी उमेश आर्य ने बताया कि बरेली रोड से जुड़े गांवों में छह महीने पहले समस्याएं बढऩे लग गई थी। जिसके बाद आठ ग्रामीणों को रात्रि में गश्त के रखा गया। इन्हें 7-8 हजार रुपये प्रति माह दिए जाते हैं।
डिवीजन की सात रेंजों में कुल 40 लोग रखे गए हैं। हाथी प्रभावित गांव के लोग ही ज्यादातर इसमें रखे गए हैं। रात में जंगल से आबादी में आने वाले रास्तों में आबादी के किनारे यह लोग आग जलाकर बैठ जाते हैं। जैसे ही हाथियों का कोई मूवमेंट होता है। सूचना वन विभाग को दे दी जाती है।