अस्पताल आदमी का और कमान पशु चिकित्सक के पास, मरीजों व पशुओं का एक्सरे एक ही मशीन से
गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय में चिकित्सालय बिना पंजीकरण के ही चल रहा है। इतना ही नहीं इस अस्पताल की कमान एक पशु चिकित्सक के पास है।
पंतनगर (ऊधमसिंहनगर) जेएनएन : जी हां...हेडलाइन पढ़कर चौंकिए न। यह खबर एकदम सच्च है। पंतनगर के गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय में एक हॉस्पिटल बिना पंजीकरण के ही चल रहा है। इतना ही नहीं इस अस्पताल की कमान पिछले पांच साल से एक पशु चिकित्सक के पास है। अस्पताल में मरीजों और पशुओं का एक्सरे एक ही मशीन से हाेता है। एेसे में मरीजों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। इसका खुलासा स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया तो असलियत सामने आई। टीम ने चिकित्सालय को तीन दिन में प्रमाण पत्रों के साथ सीएमओ दफ्तर में उपस्थित होने को नोटिस थमाया।
पंतनगर वासियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 70 के दशक में स्थापित हुआ 50 बेड का अस्पताल तकनीकी (पैरामेडिकल) स्टाफ के अभाव में मात्र औपचारिक रेफर सेंटर बन गया है। सोमवार को जिला नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश खन्ना ने चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। जांच में पता चला कि 70 के दशक में शुरू हुए अस्पताल का अस्थाई पंजीकरण वर्ष 2014 में कराया गया। एक वर्ष बाद स्थाई (तीन वर्ष के लिए) पंजीकरण भी नहीं कराया जा सका। साथ ही बायोमेडिकल वेस्ट का कोई प्रबंध चिकित्सालय प्रशासन की ओर से नहीं कराया गया है। कूड़े के लिए रखे गए डस्टबिन भी टूटी सिङ्क्षरज, पट्टी सहित गुटखा की पन्नियों व पीक से पटे मिले। फायर उपकरणों का अभाव तो था ही, अस्पताल प्रशासन द्वारा फायर व प्रदूषण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं प्राप्त किया गया था। यहां कार्डियक एंबुलेंस सहित वेंटीलेटर जैसे महंगे उपकरण तो मौजूद हैं, लेकिन इन्हें संचालित करने वाले किसी तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई है। पैथोलॉजी लैब सहित अल्ट्रासाउंड मशीन खुली पड़ी मिली।
मरीजों व पशुओं का एक कक्ष में हो रहा था एक्सरे
टीम ने बताया कि अल्ट्रासाउंड मशीन का पीसीपीएनडीटी में पंजीकरण आवश्यक है। इसके अभाव में विधिक कार्रवाई की जा सकती है। मरीजों को एक्सरे के लिए पशु चिकित्सालय भेजने का पता लगने पर टीम पशु चिकित्सालय भी पहुंची। यहां पशुओं व मरीजों का एक ही मशीन व एक ही कक्ष में एक्सरे होते पाया गया। टीम ने बताया कि यह बिल्कुल गलत है, इससे मरीजों में संक्रमण तथा पशुओं द्वारा फैलने वाली स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
विवि चिकित्सालय में पांच पूर्णकालिक एमबीबीएस
इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि विवि चिकित्सालय में पांच पूर्णकालिक एमबीबीएस डॉक्टरों के होते हुए भी इसकी कमान डॉ. एनएस जादौन (एक पशु चिकित्सक) को सौंपी गई है। करीब पांच साल से चिकित्सालय प्रभारी के पद पर जमे डॉ. जादौन को एक माह पूर्व हटाकर डॉ. दुर्गेश यादव को प्रभारी बनाया गया था। मात्र एक माह बाद ही पुन: डॉ. जादौन को पुन: प्रभारी बना दिया गया। जांच टीम ने बताया कि पंजीकरण न होने का एक कारण यह भी है कि चिकित्सालय प्रभारी एक एमबीबीएस डॉक्टर ही बन सकता है
विधिक कार्रवाई की जाएगी
डॉ. अविनाश खन्ना, जिला नोडल अधिकारी ने बताया कि चिकित्सालय पंजीकृत नहीं है। तीन दिन में समस्त प्रपत्रों सहित मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय पहुंचने का नोटिस दिया गया है। अल्ट्रासाउंड मशीन के पीसीपीएनडीटी में पंजीकृत न होने पर विधिक कार्यवाई की जाएगी।
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