शिक्षक दिवस पर विशेष : नवाचारों से शिक्षा की अलख जगा रहे वर्मा
कोई चलता पदचिह्नों पर कोई पदचिह्न बनाता है। इस उक्ति को सार्थक करने वाले प्रधानाध्यापक डीएल वर्मा नवाचारों से शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।
चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़ (बागेश्वर)। कोई चलता पदचिह्नों पर कोई पदचिह्न बनाता है। इस उक्ति को सार्थक करने वाले प्रधानाध्यापक डीएल वर्मा नवाचारों से शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। शिक्षा के साथ ही उन्होंने पर्यावरण में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। रूटीन से हटकर कुछ अलग करने के इसी हौसले से वह राष्ट्रपति पुरस्कार समेत अब तक अनेक पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं।
तहसील के राजकीय जूनियर हाईस्कूल मटेना के प्रधानाध्यापक डीएल वर्मा ने शिक्षा व पर्यावरण के क्षेत्र में विशेष कार्य किए हैं। वह शिक्षण में प्रयोग विधि पर जोर देते हैं। इसीलिए वे नए-नए नवाचारों के माध्यम से नौनिहालों में ज्ञान का संचार कर रहे हैं। अपने विद्यालय के ही नहीं बल्कि क्षेत्र के कमजोर बच्चों को वे रविवार की छुट्टी के दिन विद्यालय में आकर पढ़ाते हैं। प्रत्येक शनिवार को मस्ती की पाठशाला आयोजित कर वह बच्चों को खेल-खेल में शिक्षण कराते हैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए उन्होंने पौधा मेरे आंगन का नाम से एक अनूठी मुहिम चलाई। जिसके तहत उन्होंने गांव में घर-घर जाकर ग्रामीणों को निश्शुल्क पौधे वितरित किए और अपनी मौजूदगी में उन्हें रोपा तथा ग्रामीणों से आजीवन उस पौधे के संरक्षण का संकल्प भी दिलाया।
शिक्षक वर्मा द्वारा प्रारंभ किए गए नवाचार
मस्ती की पाठशाला, पौधा मेरे आंगन का, पपेट शो, मेरा प्रश्न सबका समाधान, ज्ञान गंगा हम तो पूछेंगे, कविता लेखन, पिक्चर प्ले, शैडो पपेट, बाल पत्रिका उमंग, चार भाषाओं में प्रार्थना, संडे का ओपन स्कूल, मोबाइल किताब घर, पुस्तकालय की स्थापना, कबाड़ से जुगाड़, टीएल रुम, बाल शोध आदि।
प्रधानाध्यापक को अब तक मिले पुरस्कार
2007 में प्रदेश का उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार, 2012-13 में शैलेश मटियानी राज्य स्तरीय पुरस्कार, 2014 में राष्ट्रपति पुरस्कार, 2016 में शिक्षा व पर्यावरण के क्षेत्र में ग्लोबल अचीवर अवार्ड, 2019 में पर्यावरण के क्षेत्र में तरुश्री पुरस्कार।
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