In Pics : उत्तराखंड में बारिश बनी आफत, बागेश्वर जिले के कपकोट में मची तबाही तस्वीरों में देखें
Uttarakhand Weather Update उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही पर्वतीय जिलों में भस्खलन से संकट खड़ा हो गया है। बागेश्वर जिले के कपकोर्ट में भारी बारिश से निर्माणाधीन सड़कों ने सबसे अधिक तबाही मचाई है।
बागेश्वर, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही पर्वतीय जिलों में भस्खलन से संकट खड़ा हो गया है। बागेश्वर जिले के कपकोर्ट में भारी बारिश से निर्माणाधीन सड़कों ने सबसे अधिक तबाही मचाई है।
भारी बारिश से सड़कों को नुकसान हुआ है। बीस से अधिक सड़कें अभी भी आवागमन के लिए बंद हैं। जिससे उच्च हिमालयी गांवों को जाने वाले लोगों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। यदि बारिश का सिलसिला तेज हुआ तो गांवों तक जरूरी सामान पहुंचना भी चुनौती होगी।
पिंडारी मोटर मार्ग हरसिला के समीप लगातार मलबा और बोल्डर आने से बंद होने लगी है। निर्माणाधीन हरसिला से सीमा गांव को बन रही सड़क के कारण पिंडारी मोटर मार्ग पर संकट पैदा हो गया है। बारिश होते ही सड़क बोल्डर और मलबे से भरने लगी है।
असों-बसकूना सडक से खडगेड़ा गांव को खतरा हो गया है। दणों गांव भी मलबे की चपेट में है। कपकोट-दूणी मोटर मार्ग से कपकोट गांव समेत नगर के लोग भयभीत हैं। पेठी-काफलीकमेड़ा सड़क से कपकोट-सौंग मोटर मार्ग मलबे से भरने लगाौ। बरुख-कफलानी-बड़ेत मार्ग से दुलम, बांसे आदि गांव में कहर मच रहा है।
खड़लेख-भनार-नामतीचेटाबगड़ सड़क से बनी दाना टिकटा, भनारघाटी और चूचेर-घुरड़िया बैंड सड़क से पूरी भनार घाटी खतरे की जद में आ गई है। शामा-नानी-पन्याली-ढाग्टी से शामा गांव को खतरा है। बांबे-बैंड-लाहूर-मिकिलखलपट्टा से रिखाड़ी, हरकोट आदि गांव में मलबा आने लगा है। इसके अलावा सौंग-लोहरखेत-सूपी सड़क भी जद में है। जिससे मल्लादानपुर घाटी का सड़क संपर्क फिलहाल कट गया है।
पूर्व विधायक, कपकोट ललित फस्वार्ण ने बताया कि नई सड़कें मानकों के आधार पर नहीं कट रही हैं। गांव तक सड़क पहुंचाने का जुनून है। बिना अलाइमेंट के सड़क बन रही है। दूसरे चरण में कलमठ, नाली और सड़क का अलाइमेंट के लिए फिर कटान होगा। पांच वर्ष तक सड़क बनते रहेगी और गांवों पर खतरा बना रहेगा।
विधायक, कपकोट सुरेश गढ़िया ने बताया कि सड़कें मानकों के आधार पर काटी जा रही हैं। प्रत्येक गांव तक सड़क पहुंचाने का लक्ष्य है। कपकोट में सड़कों का जाल बिछ रहा है। प्रकृति के सामने सब बौने हैं। विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। बंद सड़कों को खोलने का काम युद्धस्तर से चल रहा है।