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एमडीटी ड‍िवाइस म‍िलने से हाइटेक हुई उत्तराखंड पुलिस, जल्‍द मौके पर पहुंचेगी पेट्रोल यूनिट व चीता मेबाइल

उत्तराखंड पुलिस पहले से और ज्यादा हाइटेक हो गई है। नई सूचना तकनीक से अपराधियों की जहां घेराबंदी आसान होगी दुर्घटना स्थल तक पहुंचने में खाकी को ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इसमें मदद करेगा अत्याधुनिक मोबाइल डेटा टर्निमल (एमडीटी) जो पुलिस का रिस्पांस टाइम तो सुधारेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 07:48 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 07:48 AM (IST)
एमडीटी ड‍िवाइस म‍िलने से हाइटेक हुई उत्तराखंड पुलिस, जल्‍द मौके पर पहुंचेगी पेट्रोल यूनिट व चीता मेबाइल
उत्तराखंड पुलिस पहले से और ज्यादा हाइटेक हो गई है।

अल्मोड़ा, दीप सिंह बोरा : उत्तराखंड पुलिस पहले से और ज्यादा हाइटेक हो गई है। नई सूचना तकनीक से जहां अपराधियों की घेराबंदी आसान होगी, वहीं आपदाग्रस्त इलाके या किसी दुर्घटना स्थल तक पहुंचने में खाकी को ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इसमें मदद करेगा अत्याधुनिक मोबाइल डेटा टर्निमल (एमडीटी), जो पुलिस का रिस्पांस टाइम तो सुधारेगा ही संबंधित थाना क्षेत्रों के चीता मोबाइल व हिल पेट्रोल यूनिट (एचपीयू) के गश्ती दलों की लोकेशन भी बताएगा। आइजी (संचार) एपी अंशुमान की हरी झंडी के बाद राज्य के सभी जनपदों में 300 एमडीटी डिवाइस पहुंच गई हैं।

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दरअसल, अभी तक 100 नंबर डायल कर वारदात, आपदा या हादसे की सूचना देने पर देहरादून स्थित नियंत्रण कक्ष तक पहुंचती थी। वहां से संबंधित जिलों के पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) को अवगत कराया जाता था। अब अत्याधुनिक सूचना तकनीक वाली एमडीटी डिवाइस के जरिये सीधा पीसीआर तथा थाना क्षेत्रों में तैनात चीता मोबाइल व एचपीयू सतर्क हो जाएंगे।

अल्मोड़ा जिले में 25 डिवाइस

जनपद के नौ थानों, जिला मुख्यालय व रानीखेत फायर बिग्रेड के दो दमकल वाहन समेत एमडीटी डिवाइस से लैस 13 चीता मोबाइल व एचपीयू की गश्ती बाइक दौड़ेंगी।

अब 112 नंबर पर करेंगे डायल

अब तक 100 नंबर पर डायर कर वारदात या घटना की सूचना दी जाती थी। मगर उत्तराखंड में 112 नंबर की सेवा शुरू कर दी गई है। यह नंबर एमडीटी डिवाइस से जुड़ेगा।

आठ व छह इंच का मोबाइल

कोतवाल, एसओ के चौपहिया वाहनों के साथ चीता मोबाइल व हिल पेट्रोल यूनिट की बाइक पर लगने वाले एमडीटी आम मोबाइल नेटवर्क से कहीं ज्यादा उच्च गुणवत्ता के हैं। चौपहिया वाहनों में आठ इंच व बाइक पर छह इंच की डिवाइस लगेगी। इसकी स्क्रीन पर सूचनाएं आते ही नजदीकी क्षेत्र का गश्ती दल चंद मिनटों में मौके पर पहुंच सकेगा। डिवाइस पीसीआर के बड़े सक्रीन पर वीडियो, वॉयस रिकॉर्डिग, फोटाग्राफ तो मुहैया कराएगा ही। कांफ्रेंस भी हो सकेगी।

ऐसे काम करेगा कंट्रोल रूम

किसी भी घटना पर पीडि़त पीसीआर के 112 नंबर पर फोन कर सूचना देगा। कंप्यूटर क्रीन पर पर कॉलर का नाम पता व लोकेशन मिल जाएगी। यही सूचना चीता मोबाइल व एचपीयू की बाइक पर भी मिलेगी। इससे सतर्क गश्ती दल तत्काल कदम उठाएंगे।

कंप्यूटर स्क्रीन जैसा

एमडीटी कंप्यूअर स्क्रीन ही है। नियंत्रण कक्ष से भेजे गए सारे संदेश इसमें देखे जाएंगे। जो कार्रवाई की गई, इसके जरिये पीसीआर को भी संदेश भेजे जाएंगे। एसएसपी अल्मोड़ा प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि इस हाइटेक तकनीक से अपराध नियंत्रण आसान होगा। जिस किसी पुलिस कर्मी के वाहन में यह डिवाइस लगी होगी, उसकी लोकेशन मिलती रहेगी। सबसे अहम कि सूचना आने पर रिस्पांस टाइम पता रहेगा। अपराध, आपदा या हादसे की स्थिति में त्वरित कदम उठाने में बड़ी मदद मिलेगी।


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