Uttarakhand News : नैनीताल हाई कोर्ट ने फेसबुक पर लगाया जुर्माना, पढ़ें... क्या है पूरा मामाला?
Uttarakhand News मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने फेसबुक पर जवाब दाखिल नहीं करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए 16 फरवरी तक जवाब प्रस्तुत करने का एक और मौका दिया।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : Uttarakhand News : हाई कोर्ट ने फेसबुक के फर्जी आइडी के माध्यम से फोटो एडिट करके अश्लील वीडियो बनाकर ठगी करने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने फेसबुक पर जवाब दाखिल नहीं करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए 16 फरवरी तक जवाब प्रस्तुत करने का एक और मौका दिया। पूर्व में कोर्ट ने फेसबुक से आठ सितंबर 2021 को तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा था, लेकिन फेसबुक ने जवाब प्रस्तुत नहीं किया।
हरिद्वार निवासी आलोक कुमार ने दायर की है जनहित याचिका
हरिद्वार निवासी आलोक कुमार ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि फेसबुक की फर्जी आइडी से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जा रही है। रिक्वेस्ट स्वीकारते ही फोटो एडिट करके अश्लील वीडियो बना दी जा रही है।
बदले में पैसे की मांग की जा रही है। नहीं देने पर वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दी जा रही है। वह भी इसके शिकार हुए हैं, जिसकी शिकायत एसएसपी हरिद्वार, डीजीपी व गृह सचिव से की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
इस पर आरटीआइ के माध्यम से पुलिस विभाग से पूछा कि अभी तक उत्तराखंड में इस तरह के कितने मामलों में प्राथमिकी हुई। विभाग की ओर से बताया गया कि 45 पीड़ितों ने शिकायत की है। सभी मामले विचाराधीन हैं।
इस पर उन्होंने जनहित याचिका में फेसबुक को अश्लील वीडियो अपलोड करने वालों की आइडी ब्लाक करने के साथ ही ऐसा नंबर जारी करने की अपील की, जिस पर इस तरह के मामलों की शिकायत की जा सके।
नैनीताल हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता किशोरी को दी गर्भपात की अनुमति
हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून को मेडिकल बोर्ड गठित कर 13 साल की दुष्कर्म पीड़िता किशोरी के गर्भपात की अनुमति देते हुए नौ दिसंबर को रिपोर्ट भी तलब कर लिया।
पीड़िता छह महीने की गर्भवती है। नियमानुसार 24 हफ्ते बाद गर्भपात की अनुमति नहीं दी जाती, लेकिन किशोरी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर कोर्ट ने बुधवार को विशेष आदेश पारित किया।
किशोरी के पिता ने याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी। बुधवार को सुनवाई के समय न्यायालय के समक्ष पिता और पीड़ित किशोरी वर्चुअली पेश हुए।
उनका पक्ष सुनने के बाद एकलपीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए गर्भपात की अनुमति प्रदान कर दी। खतरे की स्थिति में देहरादून अस्पताल की प्रमुख डा. चित्रा जोशी को अपने विवेक के इस्तेमाल के लिए भी कहा।