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सरकार ने हाईकोर्ट को बताया, कर्मकार बोर्ड में गबन नहीं हुआ, लापरवाही से कंपनी को चले गए 20 करोड़

भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई की। मामले में सरकार ने जांच रिपोर्ट दाखिल करते हुए बताया कि 20 करोड़ की रकम बोर्ड की लापरवाही के कारण किसी दूसरी कंपनी को दे दी गई थी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 06:23 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 10:06 PM (IST)
सरकार ने हाईकोर्ट को बताया, कर्मकार बोर्ड में गबन नहीं हुआ, लापरवाही से कंपनी को चले गए 20 करोड़
सरकार ने हाईकोर्ट को बताया, कर्मकार बोर्ड में गबन नहीं हुआ, लापरवाही से कंपनी को चले गए 20 करोड़

जागरण संवाददाता, नैनीताल : मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। मामले में सरकार ने जांच रिपोर्ट दाखिल करते हुए बताया कि 20 करोड़ की रकम बोर्ड की लापरवाही के कारण किसी दूसरी कंपनी को दे दी गई, जो अब सरकारी खाते में आ चुकी है। 20 करोड़ का गबन नहीं हुआ है।

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बोर्ड के जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह हुआ है, उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक अनुशासनिक संशोधित नियमावली 2010 के प्राविधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है। सरकार ने स्पष्ट किया कि विभागीय जांच बैठा दी गई है। इसमें तत्कालीन सचिव भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड दमयंती रावत, कर्मचारी राज्य बीमा योजना के मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आकाशदीप व मुख्य फार्मासिस्ट बीएन सेमवाल, श्रम विभाग के वरिष्ठ सहायक नवाब सिंह शामिल हैं। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई दस नवंबर नियत कर दी।

काशीपुर के खुर्शीद अहमद ने दायर की है जनहित याचिका

काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद ने भ्रष्टाचार मामले में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड की ओर से श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीन एवं साइकिल देने के लिए समाचारपत्रों में विज्ञापन दिया गया था। इनकी खरीद में बोर्ड अधिकारियों ने वित्तीय अनियमितता बरती। इसकी शिकायत जब राज्यपाल व प्रशासन से की गई तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया। नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया। इसकी जांच जब चेयरमैन की ओर से कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई। मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड की ओर से भी जांच की गई, जिसमें कई नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए। लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया, जिसके द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है। याचिका में पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।


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