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चुनावी शोर के पीछे जल रहे उत्तराखंड के जंगल, 15 दिन में 312 हेक्टेयर जला; इस पहाड़ी इलाके की स्थिति ज्यादा खराब

Uttarakhand Forests Burning आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलेगा कि कुमाऊं में स्थिति ज्यादा खराब है। गढ़वाल में जहां नवंबर से अब तक 146.25 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा। वहीं कुमाऊं में 172.07 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुका है। इसके अलावा वन्यजीव क्षेत्र से जुड़े जंगल का 29.55 हेक्टेयर जंगल अब तक जला है ।

By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Tue, 16 Apr 2024 03:55 PM (IST)
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चुनावी शोर के पीछे जल रहे उत्तराखंड के जंगल, 15 दिन में 312 हेक्टेयर जला

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। चुनाव प्रचार के शोर में भले इस बात की कोई खास चर्चा न हो। मगर उत्तराखंड में जंगलों के लिहाज से स्थिति नाजुक और चिंताजनक स्थिति में पहुंची थी। वन विभाग के अनुसार नवंबर से मार्च के बीच यानी पांच महीने में 35 हेक्टेयर जंगल को आग से नुकसान पहुंचा। जबकि अप्रैल के पिछले 15 दिन में 312 हेक्टेयर जंगल जल चुका है।

सर्दियों में बरसात और हिमपात की कमी और अब पारे के लगातार बढऩे से आगे संकट के हालात पैदा हो सकते हैं। ऐसे में सिर्फ वन विभाग के बस की बात नहीं रहेगी। प्रशासन को भी सक्रिय भूमिका निभानी पड़ेगी।

वन विभाग के लिए असल फायर सीजन 15 फरवरी से 15 जून के बीच होता है। मगर पिछले कुछ सालों में सर्दियों में भी आग के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में एक नवंबर से निगरानी का दौर शुरू हो जाता हे। महकमे के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार एक नवंबर से 31 मार्च के बीच उत्तराखंड में 35.25 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हुआ।

इसमें कुमाऊं का 11.25 हेक्टेयर, गढ़वाल का 11.05 हेक्टेयर और वन्यजीव क्षेत्र से जुड़ा 12.95 हेक्टेयर हिस्सा शामिल था। लेकिन एक अप्रैल के बाद से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। 15 अप्रैल तक कुल आंकड़ा 347.87 हेक्टेयर पहुंच चुका है। यानी सिर्फ 15 दिन में 312 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुका है।

कुमाऊं की स्थिति ज्यादा खराब

आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलेगा कि कुमाऊं में स्थिति ज्यादा खराब है। गढ़वाल में जहां नवंबर से अब तक 146.25 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा। वहीं, कुमाऊं में 172.07 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुका है। इसके अलावा वन्यजीव क्षेत्र से जुड़े जंगल का 29.55 हेक्टेयर जंगल अब तक जला है।

वन पंचायतों के हिस्से का 102 हेक्टेयर राख

जंगलों में अभी तक 310 बार आग लगी है। इसमें वन आरक्षित क्षेत्र 229 और वन पंचायतों से जुड़े जंगलों में 81 बार घटनाएं हुई। वन पंचायतों का 102.25 हेक्टेयर जंगल अब तक चपेट में आया है।

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