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उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने लालकुआं नर्सरी में लगाए गए चिरौंजी के पौधे, किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई

मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित ट्रोपिकल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से चिरौंजी के 500 पौधे मंगाने के बाद इन्हें लालकुआं नर्सरी में लगाया गया है। किसानों को भी इन्हें लगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ड्राई फ्रूट्स के तौर पर इनकी काफी डिमांड है।

By govind singhEdited By: Skand ShuklaPublished: Thu, 06 Oct 2022 10:24 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 10:24 AM (IST)
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने लालकुआं नर्सरी में लगाए गए चिरौंजी के पौधे, किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई
लालकुआं नर्सरी में 500 पौधों रोपे गए, ड्राई फ्रूट्स के तौर पर मांग, लकड़ी से फर्नीचर भी बनेगा

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कई तरह के पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से युक्त चिरौंजी (chironji ) उत्तराखंड खासकर तराई क्षेत्र के किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत बना सकती है। अभी तक यहां कोई चिरौंजी की खेती नहीं करता था। अब उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र (Uttarakhand Forest Research Center) ने एक पहल की है।

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मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित ट्रोपिकल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से चिरौंजी के 500 पौधे मंगाने के बाद इन्हें लालकुआं नर्सरी (Lalkuan nursery) में लगाया गया है। किसानों को भी इन्हें लगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ड्राई फ्रूट्स के तौर पर इनकी काफी डिमांड है। इसके अलावा इसकी लकड़ी को फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

वन अनुसंधान के अनुसार चिरौंजी में कई तरह के विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इम्युनिटी बढ़ाने में भी यह असरदार है। मिठाई समेत अन्य खाने की चीजों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। अभी तक मध्य भारत में इसका उत्पादन ज्यादा किया जाता है। अब वन अनुसंधान की कोशिश है कि उत्तराखंड के काश्तकार भी इसकी खेती की तरफ आकर्षित हो।

केंद्र की हल्द्वानी रेंज के रेंजर मदन बिष्ट ने बताया कि लालकुआं में 0.46 हेक्टेयर जमीन पर 500 पौधे लगाए गए हैं। एक से डेढ़ फीट ऊंचा आकर आ चुका है। विभाग के अनुसार तराई में काश्तकार खेतों की मेढ़ पर पापुलर के पेड़ लगाते हैं। जबकि पापुलर के मुकाबले चिरौंजी को कम पानी की जरूरत पड़ेगी। फल और लकड़ी दोनों से आमदनी होगी।

एक पौधे से 25 से 30 किलो चिरौंजी का उत्पादन

पांच साल में एक पौधे से 25 से 30 किलो चिरौंजी मिल सकती है। वर्तमान में 1500 रुपए किलो चिरौंजी का भाव है। बीते दिनों एमपी के सबसे बड़ी कृषि विश्वविद्यालय के बायोटेक विभाग ने टिशू कल्चर से चिरौंजी का पौधा तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। वर्तमान में चिरौंजी का पेड़ रेड डाटा में आ चुका है।

इसलिए विलुप्त हो रहा चिरौंजी

चिरौंजी के पेड़ अभी तक फल से ही तैयार होते रहे हैं। फल पकने के तुरंत बाद प्लांट तैयार करने के लिए बोएं, तभी अंकुरण होता है। अक्सर 100 बीज में दो से तीन में ही अंकुरण होता है। इस कारण चिरौंजी के पेड़ लुप्त होते जा रहे हैं।

टिशू कल्चर से चिरौंजी बचाने की कवायद

चिरौंजी को बचाने के लिए इसे टिशू कल्चर से तैयार करने का प्रयोग जेएनकेवी ने शुरू किया, जो सफल रहा। चिरौंजी के पौधे सात फीट के लगभग होते हैं। टिशू कल्चर से ये 6 साल में फल देने लगता है। किसान चाहें, तो इसे खेत के मेड़ पर लगा कर 6 साल में अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें अलग से खाद-पानी भी नहीं देना पड़ता है।पौधे सही तरह से विकसित होने पर 25 से 30 किलो चिरौंजी का उत्पादन होता है।


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