उत्तराखंड वन अनुसंधान 439 नई प्रजातियों को संरक्षित श्रेणी में शामिल किया, सीएम ने सराहा
एक साल के भीतर उत्तराखंड वन अनुसंधान की टीम ने कड़ी मेहनत के बाद 439 नई प्रजातियों को संरक्षित श्रेणी में शामिल कर लिया। इसमें 73 प्रजातियां ऐसी हैं जो कि आइयूसीएन और जैव विविधता बोर्ड द्वारा संकटग्रस्त कैटेगिरी की प्रजाति में रखी गई थी।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : एक साल के भीतर उत्तराखंड वन अनुसंधान की टीम ने कड़ी मेहनत के बाद 439 नई प्रजातियों को संरक्षित श्रेणी में शामिल कर लिया। इसमें 73 प्रजातियां ऐसी हैं जो कि आइयूसीएन और जैव विविधता बोर्ड द्वारा संकटग्रस्त कैटेगिरी की प्रजाति में रखी गई थी।
उत्तराखंड वन अनुसंधान पिछले दो साल से हर साल साल पर्यावरण दिवस पर एक रिपोर्ट कार्ड जारी करता है। इस रिपोर्ट में उन प्रजातियों का रिकार्ड रखा जाता है। जिन्हें वन विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। पिछले साल वन अनुसंधान ने 1147 प्रजातियों की पूरी रिपोर्ट तैयार की थी। वहीं, इस बार 264 पन्नों की नई रिपोर्ट बनाई गई है।
इसमें उन 439 नई प्रजातियों का जिक्र है। जिनका पिछले एक साल में पहाड़ से लेकर मैदान तक की अलग-अलग नर्सरियों व संरक्षित क्षेत्र में संरक्षण किया गया है। वहीं, उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां हर साल इस तरह की लिखित रिपोर्ट तैयार की जाती है। अब मुख्यमंत्री तीरथ रावत द्वारा विभाग की इस उपलब्धि पर ट््वीट कर सराहना करने के साथ हौंसला अफजाई भी की है।
500 मेडिकल प्लांट शामिल
उत्तराखंड वन विभाग अब पांच सौ मेडिकल गुणों से युक्त प्रजातियों को संरक्षित कर चुकी है। वन अनुसंधान के मुताबिक 1576 प्रजातियों में 415 वृक्ष, 130 झाड़ी, 87 आर्किड, 96 फर्न, 89 घास, 45 जलीय प्रजाति, 30 काई, 87 लाइकन, आठ कीट भक्षी प्रजातियों का संरक्षण हुआ है। रिपोर्ट में सभी का विस्तार से जिक्र है।
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