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जानिए किन पांच कारणों से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुनीं रामनगर सीट

Uttarakhand Election 2022 उत्तराखंड में कांग्रेस ने विधानसभ चुनाव के लिए प्रत्याशियों की अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है। पार्टी ने पूर्व सीएम हरीश रावत को रामनगर से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इससे अब रणजीत रावत के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 11:41 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 11:41 AM (IST)
जानिए किन पांच कारणों से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुनीं रामनगर सीट
Uttarakhand Election 2022 : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत रामनगर से चुनाव लड़ेंगे।

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत रामनगर से चुनाव लड़ेंगे। इससे अब रणजीत रावत के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई है। रणजीत पिछले पांच साल से इस सीट पर सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। रणजीत के सल्ट सीट से चुनाव लडऩे की चर्चाओं को और बल मिल गया है।

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हरीश रावत और रणजीत रावत के बीच राजनीतिक दूरियां वर्ष 2017 चुनाव के बाद बढ़ गई थी। इससे पहले रणजीत हरीश के सबसे करीबी व डिप्टी सीएम माने जाते थे। रणजीत ने सल्ट छोड़कर रामनगर से 2017 में चुनाव लड़ा। तब उन्हें भाजपा के विधायक दीवान सिंह बिष्ट से हार का सामने कराना पड़ा। इसके बावजूद रणजीत की सक्रियता कम नहीं हुई। उन्होंने कोरोना संक्रमण की पहली लहर व हाल में आई आपदा में जनता के लिए कई तरह की मदद की।

कांग्रेस की दूसरी लिस्ट जारी होने पर उनका नाम कट गया। हरीश रावत खुद रामनगर से चुनाव प्रत्याशी बन गए है। हालांकि हरीश रावत के लिए भी यह रण इतना आसान नजर नहीं आ रहा है। रणजीत के समर्थक चाहते हैं कि वह रामनगर से ही निर्दलीय चुनाव लड़ें। इसपर रणजीत जल्द अपना मूड स्पष्ट कर सकते हैं। वहीं हरीश रावत भी पिछले एक साल से रामनगर में सक्रिय हो गए थे।

ये रही पांच वजहें

1- हरीश रावत की राजनीतिक शुरुआत रामनगर के एमपी इंटर कालेज से हुई थी। इसलिए रामनगर के लोगों ने उनका जुड़ाव काफी पुराना है।

2- रामनगर में मुस्लिम और दलित वोट अच्छा खासा है। जो कांग्रेस के पक्ष में पड़ता है। इस लिहाज से 30 हजार वोट कांग्रेस की झोली में जाएगा।

3- कुमाऊं-गढ़वाल का रामनगर प्रवेश द्वार है। यहां के हर गांव मोहल्ले तक सड़कें जाती है। इससे ज्यादा पैदल भी नहीं चलना पड़ेगा। आसानी से प्रत्याशी तीन-चार दिन में पूरे विधानसभा में घूम सकता है।

4- रणजीत रावत का विरोध खेमा हरीश रावत के पक्ष में पूरी मेहनत से जुट जाएंगे। कांग्रेस का एक धड़ा रणजीत को चुनाव लड़ाने का पक्ष में नहीं था।

5- रामनगर की जनता हमेशा बढ़े चेहरों पर विश्वास करती आई है। पूर्व में नारायण दत्त तिवारी व अमृता रावत बहुत कम समय में यहां से चुनाव लड़कर जीते। हरीश रावत राजनीति में बढ़ा चेहरा है। इसका लाभ भी उन्हें मिलेगा।


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