दो फीसद वोटर तय करता है हल्द्वानी का सरताज
निकाय चुनाव के समर में उतरने वाले प्रत्याशियों की राह आसान नहीं है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : निकाय चुनाव के समर में उतरने वाले प्रत्याशियों की राह आसान नहीं है। अब तक सत्ता पर काबिज रहीे या उसके इर्द-गिर्द पहुंची पार्टी के प्रत्याशियों को एक-एक वोट के लिए जूझना होगा। पिछले दो चुनाव की तरह इस बार भी करीबी मुकाबले का अनुमान लगाया जा रहा है।
हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम ऐसी सीट है, जहां महज 2 फीसद वोट से हार-जीत तय होती है। साल 2013 के चुनाव में भाजपा के डॉ. जोगेंद्र सिंह रौतेला महज 1409 वोट के अंतर से सीट जीतने में कामयाब रहे थे। समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अब्दुल मतीन सिद्दीकी दूसरे नंबर पर रहे। इसी तरह 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी रेनू अधिकारी 1018 मतों के अंतर से सीट पर काबिज होने में सफल रही थी। चुनावी आंकड़े बताते हैं प्रत्याशियों को इस बार भी एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। मामूली वोटों का अंतर कुर्सी से दूर कर सकता है।
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बागी बिगाड़ सकते हैं चुनावी गणित
पार्टी से टिकट मिलने की आस लगाए दावेदार टिकट कटने की स्थिति में खुद के बूते (निर्दलीय) चुनावी समर में उतरते हैं तो समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। ऐसी स्थिति भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के प्रत्याशियों के लिए मुसीबतें बढ़ाने वाली साबित हो सकती है।
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पिछले दो चुनाव का वोट प्रतिशत
राजनीतिक दल 2008 2013
भाजपा 35.8 34.2
कांग्रेस 37.7 21.4
सपा 5.8 32.0
बसपा 14.0 2.2
उक्रांद 0.9 1.2
निर्दलीय 5.7 9.1
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कब कितने पड़े वोट
वर्ष 2013 64441
वर्ष 2008 53862 (2227 अवैध मत)
(नोट : 2013 में ईवीएम से मतदान होने से सभी वोट वैध रहे)