भीमताल में स्वादिष्ट मछलियों का स्वाद पर्यटक अब माेबाइल वैन में ले सकेंगे
भीमताल और आसपास की शीत जल की झीलों में पाई जाने वाली महाशीर और कामन कार्प जैसी मछलियों से तैयार व्यंजनों का आनंद अब यहां आने वाले पर्यटक ले सकेंगे।
भीमताल, राकेश सनवाल : भीमताल और आसपास की शीत जल की झीलों में पाई जाने वाली महाशीर और कामन कार्प जैसी मछलियों से तैयार व्यंजनों का आनंद अब यहां आने वाले पर्यटक ले सकेंगे। इसके लिए उन्हें किसी होटल व रेस्टोरेंट में जाने अथवा विशेष डिमांड करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उन्हें यह व्यंजन मोबाइल आउटलेट वैन में उपलब्ध होंगे।
मत्स्य विभाग के सहयोग से यह योजना नैनीताल, हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी और उत्तरकाशी में संचालित की जाएगी। इसके लिए फूड वैन की तर्ज पर 10 लाख की लागत से आउटलेट वैन को तैयार किया जा रहा है। वैन का संचालन प्रगतिशील काश्तकार करेगा जिसका चयन भी मत्स्य विभाग करेगा। आने वाले पर्यटन सीजन के दौरान यहां भीमताल सातताल और नौकुचियाताल में आउटलेट वाहन में पर्यटकों को मछली से तैयार फिश फ्राई, फिश करी, फिश मसाला, फिश फिंगर, फिश पकौड़ी आदि व्यंजन मिल सकेंगे। मत्स्य विभाग द्वारा फिलहाल प्रदेश के पांच जनपदों में विभाग की मोबाइल आउटलेट वैन तैयार की जा रही है। मत्स्य विभाग की ब्लू रिव्यूलेशन योजना के तहत तैयार की जा रही वैन में मछली के सभी व्यंजन उपलब्ध होंगे। यह वैन फूड वैन की तरह ही होगी पर इसमें केवल मछली से तैयार व्यंजनों को ही परोसा जाएगा। योजना के तहत प्रत्येक जनपद में एक वाहन को ही अनुदान मिलेगा। योजना में वाहन की बनवाई और अन्य कार्य संपादित करने के लिए 10 लाख रुपये खर्च होंगे। जिसमेंं 70 प्रतिशत अनुदान के रूप में प्रदेश सरकार वहन करेगी और 30 प्रतिशत उद्यमी को देेने होंगे।
प्रगतिशील किसान को दिया जाएगा लाभ
विशाल दत्ता, ज्येष्ठ मत्स्य निरीक्षक ने बताया के शासन द्वारा प्राप्त निर्देशों के तहत विभाग को अपने-अपने क्षेत्र से एक प्रगतिशील किसान को चिह्नित कर उसको योजना का लाभ दिलाना है। भीमताल में योजना के लिए कौशल पोखरिया निवासी तल्लीताल नैनीताल का चयन किया गया है।
नौ लाख रुपये वैन तैयार करने में आएगा खर्च
विनीत कुमार, सीडीओ ने कहा कि योजना के तहत कुमाऊं मंडल के नैनीताल और गढ़वाल मंडल में हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी और उत्तरकाशी जनपद का चयन हुआ है। बताया कि नैनीताल जिले में वाहन में फैब्रिकेशन आदि का कार्य चल रहा है। पहले वर्ष विभाग के द्वारा सात लाख रुपये वैन को बनाने तथा दो लाख रुपये उसमें उपकरण आदि के लिए खर्च होंगे। दूसरे वर्ष से लाभार्थी को स्वयं के खर्चे से कारोबार करना होगा।
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