समय से इलाज और अच्छी लाइफ स्टाइल से पा सकते हैं मानसिक बीमारियों से छुटकारा
समय रहते इलाज कराने और दिनचर्या दुरुस्त रखने से आप मानसिक बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैें। जानिए इस बारे में क्या कहना है वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. मनोज त्रिवेदी का।
हल्द्वानी, जेएनएन : अगर आपकी सोच, मनोदशा और व्यवहार में ऐसा बदलाव आने लग गया हो, जिससे आपकी पारिवारिक, सामाजिक व व्यावसायिक जिंदगी प्रभावित हो रही है, तब समझ लें कि आप किसी न किसी मानसिक समस्या से ग्रस्त हो गए हैं। मगर आपको घबराने की जरूरत नहीं है। समय रहते इलाज कराने और दिनचर्या दुरुस्त रखने से आप लाइफ की क्वालिटी बढ़ा सकते हैं। यह सलाह है वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. मनोज त्रिवेदी की। रविवार को वह दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में कुमाऊं भर के लोगों को मानसिक बीमारियों पर परामर्श दे रहे थे।
ये मानसिक विकृतियां हैं आम
डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि डिप्रेशन, एंग्जाइटी सिजोफ्रेनिया, बायोपोलर डिसऑर्डर, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर, डिमेंशिया, एडिक्शन जैसी मानसिक बीमारियां आम हैं।
एक बार चढ़ा भांग का नशा तो हो जाएंगे मानसिक बीमार
मनोचिकित्सक का कहना है कि भांग का नशा भूल से भी नहीं करना चाहिए, अगर एक बार भी भांग (कैनाबिस) व उससे संबंधित नशा कर लिया तो मानसिक बीमारी पकड़ लेती है। इसे ठीक करने में कई वर्ष लग जाते हैं। कई बार यह नशा जीवनभर के लिए मानसिक बीमार बना देता है।
बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके
- जीवनशैली में सुधार लाएं
- नशे का प्रयोग बिल्कुल भी न करें
- सुबह के समय व्यायाम जरूर करें
- योग, ध्यान से भी लाभ मिलता है
- मानसिक उलझन को दूर करने की कोशिश करें
- मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक व काउंसलर से संपर्क करें
मानसिक बीमारी में न पालें ये भ्रांतियां
डॉ. त्रिवेदी बताते हैं कि मानसिक बीमारियों के इलाज को लेकर लोगों में अब कुछ हद तक जागरूकता बढ़ी है, फिर भी लोग कई तरह की भ्रांतियां पाल लेते हैं। मनोचिकित्सक के पास जाने से भी डरते हैं। एक बार दवा लेने पर जिंदगी भर की आदत पड़ जाने का डर रहता है। अन्य ट्रीटमेंट को लेकर भी भ्रम रहता है, जबकि ऐसा नहीं है। अगर आप डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही दवा लेते हैं तो आदत नहीं पड़ेगी। आप जरूरत के अनुसार ही दवाइयां लेंगे। उन लोगों को आदत पड़ती है जो अपने मन से सीधे मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर खाने लगते हैं।
मनोचिकित्सकों व मनोवैज्ञानिकों को बढ़ाने की जरूरत
अब लोग जागरूक होने लगे हैं, लेकिन पर्याप्त मनोचिकित्सक व मनोवैज्ञानिक नहीं हैं। इनकी संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। अगर इनकी संख्या बढ़्रेगी तो अधिक से अधिक लोगों को मानसिक बीमारियों के उपचार में लाभ मिलेगा।
कुमाऊं भर के लोगों ने लिया परामर्श
हल्द्वानी के अलावा कोटाबाग, कालाढूंगी, लालकुआं, नैनीताल खटीमा, रुद्रपुर, धारचूला, पिथौरागढ़, द्वाराहाट, अल्मोड़ा, बागेश्वर से तमाम लोगों ने फोन कर परामर्श लिया।