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काश! पहले बता देता तो बाघ का निवाला बनने से बच जाते पापा

बाघ के हमले में पिता वीरेद्र को गंवाने वाले बेटे सुनील ने बाघ की गर्जना सुनी थी।

By Edited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 04:10 PM (IST)
काश! पहले बता देता तो बाघ का निवाला बनने से बच जाते पापा
काश! पहले बता देता तो बाघ का निवाला बनने से बच जाते पापा
जासं, रामनगर : बाघ के हमले में पिता वीरेद्र को गंवाने वाले बेटे सुनील ने बाघ की गर्जना सुनी थी। जंगल में उसे किसी जानवर के होने की आशंका थी, लेकिन वो आशंका जुबान पर नहीं आ सकी, जिसकी कसक पूरी जिंदगी उसके जेहन में रहेगी। सुनील फूटफूटकर रोते हुए कह रहा था-काश पापा को बता दिया होता कि जंगल किसी जानवर की आवाज आ रही है तो शायद वो आज जिंदा होत। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अंतर्गत दक्षिणी जसपुर पतरामपुर रेंज के कंपाउंड नंबर 38 में मालधन मोहननगर निवासी वीरेंद्र सिंह उर्फ चीता (40) पुत्र करतार सिंह मंगलवार सुबह करीब 10 बजे बेटे सुनील के साथ लकड़ी लेने जंगल गया था। उसने बेटे को बीच रास्ते में यह कहकर रुकने के लिए कहा कि वह जंगल से लकड़ी लेकर आ रहा है। इसके बाद वह (सुनील) उसे साइकिल से लेकर घर चला जाएगा। इतना कहकर वीरेंद्र लकड़ी काटने जंगल में चला गया। एक घंटे तक जब वह नहीं लौटा तो बेटा घर आ गया। दोपहर होने पर भी वीरेंद्र घर नहीं आया तो परिजनों को चिंता सताने लगी। परिजनों ने सुनील से दोबारा पिता के बारे में पूछा तो उसने बताया कि जहा वह खड़ा था, उधर किसी जानवर की आवाज आ रही थी। इस पर परिजनों ने गाव वालों को सूचना दी। इसके बाद वन विभाग की चौकी को भी जानकारी दी गई। फिर परिवार के लोग व वनकर्मी वीरेंद्र की तलाश करने जंगल में चले गए। शाम करीब पांच बजे घर से करीब एक किलोमीटर दूर जंगल में झाड़ी में उसका शव पड़ा मिला। उसके गले पर बाघ के दातों के गहरे निशान थे। यह देख परिजनों में कोहराम मच गया। इस सूचना पर ग्रामीण भी मौके पर जुटने लगे और वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। चालक था मृतक मृतक वीरेंद्र पहले मालधन से काशीपुर तक बस चलाता था। इसके बाद उसने अपनी कार ले ली थी। वह कार की बुकिंग पर जाता था। उसके तीन बेटे और एक बेटी है। उसकी मौत के बाद अब परिवार के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

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