गदरपुर में झारखंड निवासी तीन मोबाइल चोर पकड़े गए, आरोपितों से एक कार भी बरामद
आरोपितों ने अपना नाम पप्पू महतो पुत्र बिंदु महतो संतोष महतो पुत्र चतुरी महतो निवासी महाराजपुर थाना तालझाडी जिला साहब गंज झारखंड नाबालिग किशोर निवासी बाबूपुर थाना तीन पहाड़ जिला साहबगंज झारखंड बताया। उनके पास से चोरी किए गए सात मोबाइल बरामद हुए।
संवाद सूत्र, गदरपुर : पुलिस ने चोरी के मोबाइल के साथ तीन आरोपितों को पकड़ लिया। साथ ही एक मारुति सुजुकी कार भी बरामद की। सीओ वंदना वर्मा ने मंगलवार को मामले का खुलासा करते हुए बताया कि कुलवंत नगर निवासी सुरेश कुमार सागर पुत्र रामस्वरूप ने तहरीर देकर कहा था कि रविवार को को बाजार से अज्ञात लोगों ने उसकी जेब से मोबाइल चोरी कर लिया था। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर जांच में जुट गई थी।
थानाध्यक्ष सतीश चंद कापड़ी ने चोरी किए गए मोबाइलों के लोकेशन की जांच के लिए एसओजी की मदद ली। सोमवार को निर्माणाधीन बाईपास के पास चेकिंग के दौरान एक मारुति कार को रोका गया तो इसमें सवार लोग घबरा गए। पूछताछ में आरोपितों ने अपना नाम पप्पू महतो पुत्र बिंदु महतो, संतोष महतो पुत्र चतुरी महतो निवासी महाराजपुर थाना तालझाडी जिला साहब गंज झारखंड नाबालिग किशोर निवासी बाबूपुर थाना तीन पहाड़ जिला साहबगंज झारखंड बताया। उनके पास से चोरी किए गए सात मोबाइल बरामद हुए। बरामद मोबाइल की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये हैं।
मारुति सुजुकी यूके जीरो आठ 4014 भी बरामद की गई है। पुलिस ने दो आरोपितों को कोर्ट में पेश किया और किशोर बालक को किशोर न्यायालय में पेश किया गया। गिरफ्तार करने वाली टीम में उपनिरीक्षक प्रकाश चंद्र भट्ट गोल्डी दर्शन सिंह गिरीश चंद्र राकेश प्रसाद इमरान अंसारी चंदन सिंह भूपेंद्र आर्य रवि पासवान शामिल थे
दूसरे साथी को मोबाइल दे देते थे
मोबाइल चोर पप्पू महतो ने बताया कि भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में मोबाइल चोरी करते हैं। जैसे ही मोबाइल चोरी करते हैं अपने दूसरे साथी को मोबाइल दे देते हैं।वह वहां से खिसक जाता है। जिससे पकड़े जाने का डर नहीं होता।
मोबाइल चोर गिरोह में 13 वर्ष का एक बालक भी था
मोबाइल चोर गिरोह ने अपने साथ एक 13 वर्ष के बालक को भी रखा हुआ था। जो बड़ी सफाई से लोगों की जेब से मोबाइल चोरी कर लेता था और लोग उस पर शक भी नहीं करते थे।
नेपाल में बेचे जाते थे मोबाइल
मोबाइल चोर गिरोह के आरोपित पप्पू महतो ने बताया कि मोबाइल चोरी करने के बाद इसे अपने राज्य झारखंड ले जाते थे। जहां नेपाल से बॉर्डर पर नेपाली दुकानदारों को मोबाइल भेज दिए जाते थे। नेपाल में बेचने के बाद लोकेशन में भी मोबाइल पकड़ में नहीं आते थे। जबकि यहां पर मोबाइल पकड़े जा सकते थे। उसमें हम भी गिरफ्तार हो जाते थे यह सबसे आसान रास्ता था।