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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे जंगलों में बाघों पर खतरा, दक्षि‍णी सीमा बेहद संवेदनशील

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर अब सीटीआर प्रशासन को और अलर्ट होना होगा। यूं तो सीटीआर बाघों की सुरक्षा के लिए अपनी ओर से पूरी तरह मुस्तैद है लेकिन फिर भी यहां बाघों की सुरक्षा के लिए सेंध लगाई जा सकती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 01:12 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 05:45 PM (IST)
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे जंगलों में बाघों पर खतरा, दक्षि‍णी सीमा बेहद संवेदनशील
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे जंगलों में बाघों पर खतरा, दक्षणी सीमा बेहद संवेदनशील

रामनगर, विनोद पपनै : कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या को लेकर अब सीटीआर प्रशासन को और अलर्ट होना होगा। वरना बाघों पर खतरा मंडरा सकता है। यूं तो सीटीआर बाघों की सुरक्षा के लिए अपनी ओर से पूरी तरह मुस्तैद है लेकिन फिर भी यहां बाघों की सुरक्षा के लिए सेंध लगाई जा सकती है। इसकी सबसे बड़ा कारण सीटीआर की दक्षिणी सीमा है, जो पूरी तरह से उत्तरप्रदेश से लगी है। गाहे बगाहे इसी क्षेत्र से शिकारी सीटीआर में अपने काम को अंजाम देते रहे हैं।

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कार्बेट बना था हाथियों का कत्लगाह

अतीत के पन्ने पलटे तो साल 2000 गजराजों के लिए मुसीबत बनकर आया था। उस समय कार्बेट की दक्षिणी सीमा से शिकारी घुस आए थे और एक के बाद छह नर हाथियों को मौत के घाट उतार दिया था। फिर बेहरमी से उनकी सूड़ काटकर दांत ले उड़े थे। हालांकि सीटीआर की दक्षणी सीमा पर वनकर्मी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं लेकिन इस सीमा पर कई ऐसे रास्ते हैं जिससे जंगल मे आसानी से प्रवेश किया जा सकता है। जब तक दक्षणी सीमा पर खास चौकसी नही रखी जायेगी तब तक बाघो व अन्य वन्यजीवों पर खतरा मंडराता ही रहेगा।

ग्रामीणों की सहभागिता जरूरी

बाघों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि ग्रामीणों का सहयोग लिया जाए। जंगल से सटे गावों में खुली चौपाल लगाई जाए। चौपाल में गांव के प्रत्येक ग्रामीण को बुलाया जाए। उनकी समस्या सुनकर उनका निदान भी उनकी सहमति के साथ किया जाए। जब तक अधिकारी खुद गाँवों में जाकर जनता से उनकी दिक्कतें नहीं सुनेंगे, तब तक वन्यजीवों की सुरक्षा के बारे में सोचना भी बेईमानी है।

ग्रामीण ही हो सकते है सजग प्रहरी

कार्बेट के जंगलों से सटे गांव के वाशिंदे ही सजग प्रहरी की भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि जंगल मे घुसने से पहले कोई भी व्‍यक्ति गांव में प्रवेश करेगा। उसके बाद ही जंगल मे घुसेगा। गांव में किसी अनजान, संदिग्ध की सूचना ग्रामीण सीटीआर को देकर सजग प्रहरी की भूमिका अदा कर सकते हैं। मगर इसके लिए सीटीआर प्रशासन को ग्रामीणों के बीच जागरूकता फैलानी जरुरी है।

चाक चौबंद है ब्यवस्था

सीटीआर के निदेशक राहुल का कहना है कि बाघों के अलावा अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए दक्षिणी सीमा पर चाक चौबंद ब्यवस्था की गई है। रात में गश्त जारी है। लंबी दूरी ओर छोटी दूरी की गश्त बराबर की जाती है। वायरलेस सेट जानकारी लेने के साथ साथ संवेदन शील क्षेत्रो में सीसीटीवी कैमरों से जंगल की निगरानी की जा रही है। जगह-जगह मचान से भी निगरानी की जा रही है। मुखबिर तंत्र से बराबर सम्पर्क बनाया गया है।

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