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नंधौर में खनन बंद हाेने के आदेश से संकट में 40 हजार लोगों का रोजगार

एनजीटी के नंधौर नदी से खनन व आसपास के स्टोन क्रशरों से निकासी बंद करने के आदेश से 40 हजार लोगों का रोजगार संकट में आ गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 10:26 AM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 10:26 AM (IST)
नंधौर में खनन बंद हाेने के आदेश से संकट में 40 हजार लोगों का रोजगार
नंधौर में खनन बंद हाेने के आदेश से संकट में 40 हजार लोगों का रोजगार

हल्द्वानी, जेएनएन : एनजीटी के नंधौर नदी से खनन व आसपास के स्टोन क्रशरों से निकासी बंद करने के आदेश से 40 हजार लोगों का रोजगार संकट में आ गया है। राज्य सरकार को भी राजस्व में तगड़ा नुकसान होगा। एनजीटी का आदेश मिलते ही सरकार को प्रतिदिन 25 लाख रुपये के राजस्व का घाटा होना शुरू हो जाएगा। इस आदेश से हजारों लोगों में मायूसी है। हालांकि वन निगम के अफसर आदेश की प्रति मिलने के बाद अध्ययन कर अगली कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

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चोरगलिया क्षेत्र में नंधौर नदी के चार गेटों से खनन निकासी होती है। इस साल नवंबर में नंधौर से खनन की अनुमति मिली थी। इसके लिए एक माह पहले से यानी पांच दिसंबर से गेट खुलने शुरू हुए। अब तक तीन गेटों से उपखनिज निकासी शुरू हो चुकी है। जबकि चौथे यानी गल्फार गेट से उपखनिज निकासी की तैयारी चल रही है। वन निगम के रिकार्ड के मुताबिक नंधौर से अब तक 45 हजार घन मीटर उपखनिज उठने के साथ ही सरकार को प्रतिदिन 25 लाख रुपये राजस्व मिल रहा है। अब तक एक करोड़ 89 लाख 9 हजार रुपये का राजस्व सरकार ले चुकी है। जबकि इस साल के लिए कुल 17 लाख 42 हजार घन मीटर उपखनिज का उठान होना प्रस्तावित है।

नंधौर नदी से 15 हजार लोग सीधे तौर पर खनन कारोबार से जुड़े हैं। जबकि 25 हजार लोगों का रोजगार अप्रत्यक्ष रूप से खनन कारोबार पर निर्भर है। नदी व स्टोन क्रशर से खनन निकासी बंद होते ही सभी लोग बेरोजगारों की कतार में शामिल हो जाएंगे। ऐसे में लोगों के चेहरों में चिंता की लकीरें साफ झलकने लगी हैं।

2054 वाहन पंजीकृत, 1500 ने शुरू किया ढुलान

वन निगम के रिकार्ड बताते हैं कि चार गेटों कड़ापानी, कड़ापानी प्रथम, एनएम, एनएम प्रथम यानी गल्फार गेट से उपखनिज ढुलान के लिए कुल 2054 वाहनों के पंजीकरण रिनुअल के लिए वन निगम में आवेदन किया गया है। इनमें से 1500 वाहनों से उपखनिज ढुलान शुरू कर दिया है। जबकि कुल 1740 वाहन आरटीओ से पास होकर वन निगम के सॉफ्टवेयर में चढ़ चुके हैं। शेष वाहनों के भी जल्द ढुलान शुरू करने की उम्मीद जताई जा रही थी।

फिलहाल नहीं मिला है लिखित आदेश

पीएस बोरा, डीएलएम, नंधौर ने बताया कि एनजीटी के नंधौर नदी व चोरगलिया के क्रशरों से खनन पर रोक लगाने का लिखित आदेश अब तक नहीं मिला है। आदेश मिलने पर उसका अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की कार्यवाही नहीं होने पर एनजीटी नाराज

राज्य सरकार की सुस्ती एक बार फिर नंधौर नदी से खनन सुचारू रखने में भारी पड़ गई। सरकार की ओर से एनजीटी में पैरवी में गंभीरता नहीं दिखाने से 40 हजार लोग बेरोजगारी की कगार पर खड़े हैं।

यदि कोई खनन परियोजना किसी पार्क या सेंचुरी से 10 किमी के भीतर होती है तो उसे नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्लूएल) से अनुमति लेनी होती है। सरकार ने नंधौर नदी के मामले में वन, पर्यावरण व एनबीडब्लूएल की स्वीकृति ले ली है, लेकिन इको सेंसेटिव जोन घोषित करने में सरकार सुस्त बनी रही। वहीं, एनजीटी ने सरकार से इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की जानकारी मांगी थी। सरकार की ओर से जोन घोषित न करने को एनजीटी ने गंभीरता से लिया। एनजीटी ने कहा कि जब सरकार को ही चिंता नहीं है तो नदी से खनन बंद कर दिया जाए। यहां बता दें कि इको सेंसेटिव जोन की 10 किमी की परिधि में खनन व स्टोन क्रशर लगाना प्रतिबंधित है। राज्य सरकार चाहे तो ये परिधि कम भी कर सकती है। इसके बावजूद अब तक सरकार ने इस मामले में निर्णय नहीं लिया है।

वर्ष 2016-17 में नंधौर में नहीं हो पाया था खनन

सरकार की सुस्ती पहले भी कई बार सामने आ चुकी है। वर्ष 2015-16 में सरकार को खनन के लिए मिली 10 साल की लीज खत्म हो चुकी थी। सरकार के गंभीर नहीं होने पर वर्ष 2016-17 में नंधौर नदी से खनन नहीं हो पाया था। इसके बाद छह माह तक अफसर केंद्रीय वन मंत्रालय से अनुमति लेने के लिए दिल्ली से लेकर देहरादून के चक्कर लगाते रहे। वर्ष 2017-18 में खनन की अनुमति तो मिली, लेकिन समय अधिक निकलने के कारण मात्र 42 दिन ही नंधौर खुल पाई। वहीं इस साल हजारों लोगों के नदी से सुचारू खनन होने की उम्मीद थी। सरकार से लेकर अफसरों की सुस्ती से ये उम्मीदें फिर टूटती दिख रही हैं। 

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