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जिला पंचायत की चार सीटों पर बहाना होगा पसीना, पिथौरागढ़ की इन सीटों का भूगोल है विकट

त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव के तीसरे चक्र में होने वाले मतदान के लिए धारचूला और मुनस्यारी विकास खंडों की चार सीटों का भूगोल प्रत्याशियों का ठंड के मौसम में पसीना बहाने वाला है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 09:57 AM (IST)
जिला पंचायत की चार सीटों पर बहाना होगा पसीना, पिथौरागढ़ की इन सीटों का भूगोल है विकट

पिथौरागढ़, जेएनएन : त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव के तीसरे चक्र में होने वाले मतदान के लिए धारचूला और मुनस्यारी विकास खंडों की चार सीटों का भूगोल प्रत्याशियों का ठंड के मौसम में पसीना बहाने वाला है। प्रशासन के लिए भी यहां चुनाव कराना काफी मुश्किलों भरा होगा। 

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तीसरे चक्र में धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट विकास खंडों में  मतदान होना है। डीडीहाट में तो सभी क्षेत्र मोटर मार्गो से जुड़े हैं। एक ही दिन एक सीट पर प्रत्याशी संपर्क कर सकता है। धारचूला और मुनस्यारी की सरमोली, सिर्दांग, भूर्तिंग और मेतली चार सीटें ऐसी हैं, जहां प्रचार के लिए 40 किमी तक की पैदल दूरी नापनी है। वह भी उच्च हिमालय में तो कहीं पर 16 किमी की सीधी चढ़ाई चढ़ कर गांवों तक पहुंचना है। मुनस्यारी की सरमोली जिपं सीट मुनस्यारी से लेकर 66 किमी दूर उच्च हिमालयी मिलम तक फैली है। पूरा क्षेत्र पैदल है। गनीमत यह है कि चुनाव तक मुनस्यारी के उच्च हिमालय के मात्र तीन गांवों के लोग ही वहां पर रहते हैं।

दूसरी तरफ धारचूला की सिर्दांग सीट सबसे अधिक क्षेत्रफल की है। जिसमें दो उच्च हिमालयी घाटियां दारमा और व्यास के साथ उनके मध्य स्थित उच्च मध्य हिमालयी चौदास घाटी आती है। दारमा घाटी में तो तिदांग तक सड़क है, व्यास घाटी में प्रचार के लिए नंजग से पैदल चलना है। नंजग से अंतिम गांव कुटी की पैदल दूरी 40 किमी से अधिक है। यहां आने जाने में चार दिन का समय लगता है। इस घाटी में सात गांव हैं। तीसरी सीट धारचूला की मेतली सीट है।  इस सीट का गोरी नदी से लगा अधिकांश हिस्सा तो मोटर मार्ग से जुड़ा है परंतु कुछ बड़े गांव सड़क से 16 किमी की पैदल दूरी पर स्थित हैं। पैदल मार्ग पूरी चढ़ाई का है। वोट मांगने प्रत्याशियों को कनार, भटभटा जैसे गांवों तक जाने के लिए 16 किमी की खड़ी चढ़ाई चढऩी है। मुनस्यारी के भूर्तिग सीट पर वोट मांगने प्रत्याशियों को 27 किमी पैदल चल कर नामिक गांव पहुंचना है। दुर्गम और क्षतिग्रस्त मार्ग होने से एक गांव से वोट मांगने के लिए प्रत्याशियों के तीन दिन लग रहे हैं। वहीं प्रशासन को भी इन इलाकों में मतदान के लिए विशेष तैयारियां करनी होंगी। 


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