उत्तराखंड निवासी सीडीएस जनरल रावत सहित सैन्य अफसरों की मौत पर सकते में लोग
हेलीकॉप्टर में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के निवासी देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी समेत सैन्य अफसर की मौत से सभी स्तब्ध हैं। हादसे में सीडीएस रावत व पत्नी सहित 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : दक्षिण भारत में सेना के हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर ने पूरे उत्तराखंड को हिला कर रख दिया है। हेलीकॉप्टर में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के निवासी देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी समेत सैन्य अफसर की मौत से सभी स्तब्ध हैं। हादसे में सीडीएस रावत व पत्नी सहित 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। जनरल रावत के मौत की खबर सुनकर पूरे उत्तराखंड के इंटरनेट मीडिया यूजर्स ने शोक संवेदना व्यक्त की। शोक व्यक्त करने वालों में पूर्व सैन्य अफसरों भी इसमें शामिल हैं।
ब्रिगेडियर रिटायर पीएस बोरा ने इस हादसे पर दुःख जताते हुए कहा कि ईश्वर रावत उनकी पत्नी सहित सभी सैन्य अफसरों की आत्मा को शांति प्रदान करे। ब्रिगेडियर बोरा बताते हैं कि 1995 में जब उनके बड़े भाई मेजर जनरल आइजेएस बोरा सागर मध्य प्रदेश में तैनात थे तो तब जनरल रावत लेफ्टिनेंट कर्नल थे। तब उनकी जनरल बिपिन रावत से मुलाकात हुई थी। इस दौरान उनके साथ गोल्फ खेलने का मौका भी मिला था। जनरल रावत बेहद विजनरी थे। जब पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई तब वह देश के डिप्टी आर्मी चीफ थे। उनका बहुत ब्राइट करियर रहा है। वह एनडीए की पासिंग आउट परेड में सॉर्ड ऑफ ऑनर रहे थे।
हादसे पर दुःख जताते हुए लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर एमसी भंडारी के अनुसार वह सेना के सम्पर्क में हैं। इस दुख को भगवान उनके व सभी सैन्य परिवारों को सहने की क्षमता प्रदान करे।
पिता लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर
बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी में 16 मार्च 1958 को हुआ था। उनके पिता लक्ष्मण सिंह लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए थे। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से मिलिट्री-मीडिया स्ट्रैटजिक स्टडीज में पीएचडी भी की। जनरल बिपिन रावत राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और उच्च कमान राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके थे। उन्होंने अमेरिका के फोर्ट लीवएनवर्थ से कमान और जनरल स्टाफ विषय की पढ़ाई की। सेना में अपने लंबे करियर के दौरान जनरल रावत सेना के पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर थल सेना की एक बटालियन का और कश्मीर और पूर्वोत्तर में भी सेना की टुकड़ियों का नेतृत्व कर चुके।