बाजार: हिमाचली सेब के आगे रामगढ़ के सेब की मिठास फीकी, कास्तकारों के चेहरे पर मायूसी
ओलावृष्टि और लॉकडाउन होने से किसानों को दोहरी मार पड़ी है। इसके चलते रोजाना हल्द्वानी मंडी में हजार क्विंटल फलों की आवक घटकर 400 क्विंटल में सिमट कर रह गई।
हल्द्वानी, जेएनएनः पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को इस बार फलों से घाटा उठाना पड़ रहा है। ओलावृष्टि और लॉकडाउन होने से किसानों को दोहरी मार पड़ी है। इसके चलते रोजाना हल्द्वानी मंडी में हजार क्विंटल फलों की आवक घटकर 400 क्विंटल में सिमट कर रह गई। जबकि नाशपाती और पुलम की आवक दस फीसद भी नहीं रही। इसकी एक वजह मंडी में फलों के उचित दाम नहीं मिलना भी है। ऐसे में किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट घहराता जा रहा है। बाजार में हिमाचल के सेब आने से पहाड़ के सेब की डिमांड घट गई है। जबकि हिमाचल सेब के दाम 20-30 रुपये किलो तक अधिक है। दरअसल, पहाड़ के अधिकतर किसानों के रोजगार का एकमात्र साधन सीजनल फलों का कारोबार ही है। इससे किसान अपने पूरे साल का खर्च निकालता है, लेकिन इस सीजन में कोरोना और मौसम की दोनों से किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।
सीजन के दिनों में रोजाना क़रीब एक हजार फलों की पेटी मंडी भेजता था, आमदनी भी अच्छी हो जाती थी, मगर इस बार मंडी से डिमांड बिल्कुल भी नहीं आ रही है। अब घरों में ही फलों का स्टॉक पड़ा है। -गणेश आर्या, निवासी रामगढ़
लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र की मंडी बंद होने से किसानों को अधिक नुक़सान पहुंचा है। दूसरी मंडियों में भी इस बार पहाड़ के फलों की डिमांड नहीं रही है। इसके चलते मंडी आढंती भी पहाड़ से फलों की मांग घटा दी है। -जीवन सिंह कार्की, अध्यक्ष फल सब्जी आढ़ती एसोसिएशन
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