गौला के पांच हजार मजदूरों की रात ठंड में कटेगी और कंबल गर्मियों में बंटेगा nainital news
हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है लेकिन रोजी-रोटी की तलाश में बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश से गौला में मजदूरी करने आए पांच हजार से ज्यादा मजदूर अब भी कंबल का इंतजार कर रहे हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : दिसंबर की इन सर्द रातों में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है, लेकिन रोजी-रोटी की तलाश में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से गौला में मजदूरी करने आए पांच हजार से ज्यादा मजदूर अब भी कंबल का इंतजार कर रहे हैं। इस इंतजार पर अफसरों की काहिली हर बार की तरह भारी पड़ रही है। अभी तक श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन तक नहीं किया गया है। इस वजह से राहत सामग्री मिलने में हर बार की तरह देरी होनी लाजिमी है। बगैर किसी सुरक्षा उपकरणों के मजदूर खदानों में काम कर रहे हैं।
शीशमहल से लेकर शांतिपुरी तक गौला के निकासी गेटों पर तड़के से दिन ढलने तक मजदूर पसीना बहाते हैं। हजारों लोगों के लिए गौला आजीविका का साधन है। रोजगार की तलाश में सैकड़ों किमी का सफर तय कर बाहरी श्रमिक परिवार समेत यहां पहुंचते हैं। अलग-अलग टोलियों में काम करने वाले श्रमिकों को ठेकेदार क्विंटल (उपखनिज) के हिसाब से भुगतान करते हैं। इन्हें सुविधा देने का काम वन निगम का होता है। कंबल, जलौनी लकड़ी देने के साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण के लिए हेल्थ कैंप लगाने का भी नियम है। वन निगम ने इस बार सिर्फ एक बार गेटों पर जलौनी लकड़ी बांटी है। इसके अलावा और कोई सुविधा इन मजदूरों को नहीं मिली। वहीं अफसरों का कहना है कि मुख्यालय से टेंडर को स्वीकृति मिल चुकी है। जल्द सामान वितरण कर दिया जाएगा।
जूते व हेलमेट भी नहीं दिए
पिछले साल इंदिरानगर निकासी गेट पर खदान से उपखनिज निकालने में जुटे एक श्रमिक की ढांग गिरने से मौत हो गई थी। फिर भी इस बार जूता, हेलमेट, मास्क, गलब्स आदि सेफ्टी किट नहीं दी गई है। गौला मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट ने कहा है कि वन निगम के अधिकारियों के समक्ष कई बार मजदूरों की पीड़ा रखी गई है। उसके बावजूद सुध नहीं ली जाती है। भविष्य में कहीं बाहरी मजदूर गौला का रख करना न छोड़ दें। वहीं, डीएलएम वाइके श्रीवास्ता ने कहा कि वकंबल वितरण को लेकर मुख्यालय से स्वीकृति मिल चुकी है। पूरी उम्मीद है कि अगले माह की शुरुआत में ही श्रमिकों को सामान बंट जाए।
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