बल्ब की रोशनी में 'लोकतंत्र' का उजियारा
चुनाव..यानी पांच साल में एक बार आने वाला लोकतंत्र का त्योहार।
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी: चुनाव..यानी पांच साल में एक बार आने वाला लोकतंत्र का त्योहार। इलेक्शन अगर निकाय का है तो इसकी अहमियत व वोटरों का उत्साह दोगुना हो जाता है। इसलिए कि गली-मोहल्लों का विकास निगम के जिम्मे होता है। यहीं वजह है कि सूरज की किरणें अंधेरे में छिप गई, लेकिन वोटर बगैर थके रात तक मतदान केंद्र पर डटा रहा। लिहाजा निर्वाचन आयोग को साढ़े सात बजे तक वोटिंग करवानी पड़ी।
निकाय चुनाव में बैलेट के जरिये वोट डाले गए। पार्षद व मेयर का बैलेट पेपर अलग होने की वजह से मतदान में समय ज्यादा लगा। जिस वजह से निर्धारित समय (पांच बज) बाद भी बूथों पर लोगों की लाइन लगी रही। देवलचौड़ स्थित प्राइमरी स्कूल में 200 मतदाता पांच बजे बाद भी अंदर रह गए। वहीं नारायण नगर बूथ पर साढ़े सात बजे तक वोट पड़ा। अंधेरा होने की वजह से वोटिंग में दिक्कत न आए, इसलिए बकायदा बल्ब मंगाकर रोशनी की व्यवस्था की गई। निर्वाचन कर्मियों ने गेट बंद करने के बाद इनसे वोट डलवाया। लाइन में खड़े लोगों में अधिकांश महिलाएं व युवा थे। देवलचौड़ बूथ पर वोटिंग को आए लोग इससे पहले ग्रामीण क्षेत्र में आते थे। पहली बार निकाय की सरकार चुनने की उत्सुकता ने इनके हौंसलों को डिगने नहीं होने दिया। वोट डालने के बाद गेट से बाहर निकलते ही इनके चेहरे पर एक अलग मुस्कान दिखी। वहीं बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में ललित महिला इंटर कॉलेज, जीजीआइसी, प्राइमरी, एमबी इंटर कॉलेज समेत शहर के आधा दर्जन से अधिक मतदान केंद्रों पर तय समय के बाद तक मतदान होता रहा। हालांकि मौका उन्हीं वोटरों को मिला जो पांच बजे तक बूथ कें अंदर प्रवेश कर चुके थे। कमरे में रोशनी, बाहर मोबाइल बनें टार्च: देरी तक वोट डलने की वजह से मतदान कक्ष में उजाला किया गया था। लेकिन बाहर लाइन में लगे लोग अंधेरे में खड़े थे। निर्वाचन आयोग द्वारा मैदान में रोशनी को लेकर कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से मतदाता नाराज भी दिखे। जिसके बाद मोबाइल की टार्च जलाकर वोटरों ने खुद रोशनी का प्रबंध किया। सुरक्षाकर्मियों को भी हुई दिक्कत: पांच बजे बाद मतदान होने की वजह से सुरक्षा ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों को लाइन व्यवस्थित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। जिसके बाद टार्च मंगवाई गई। बुबु बोलें अब हम शहरी हो गए: देवलचौड़ स्थित प्राइमरी स्कूल में साथियों संग वोट डालने आए बुजुर्ग की बात सुनकर लाइन में लगे अन्य वोटर भी ठहाका लगाने लगे। बुजुर्ग ने बड़े मजाकिया अंदाजा में कहा कि अब प्रधानों का काम खत्म। आज से हम शहरी बन गए। इस पर पास खड़े एक युवक ने कहा कि गांव शामिल हुए बहुत दिन हो गए। जिस पर बुजुर्ग ने व्यंग्य करते हुए कहा कि वोट डलने के बाद तो शहर में आऊेगे। तभी तो पार्षद और मेयर काम करेगा।