अंग्रेज महिला की याद में नैनीताल का यह टॉप कहलाया डोरोथी सीट
नैनीताल जेएनएन आज अंग्रेजों के जमाने की तरफ जाते हैं। जमाना दशकों पीछे छूट गया है लेकिन किस्से हमेशा अतीत की परछाई बनकर वर्तमान के साथ चलते रहते हैं सदियों तक।
नैनीताल, जेएनएन: आज अंग्रेजों के जमाने की तरफ जाते हैं। जमाना दशकों पीछे छूट गया है, लेकिन किस्से हमेशा अतीत की परछाई बनकर वर्तमान के साथ चलते रहते हैं सदियों तक। नैनीताल अपनी पहचान का मोहताज नहीं। हर कोई जानता है कि इस शहर को अंग्रेजों ने बसाया, मगर शहर के इर्द-गिर्द भी ऐसे खूबसूरत स्पॉट हैं, जिनकी खोज का श्रेय अंग्रेजों को ही जाता है। इन्हीं में से एक है टिफिन टॉप। इसे आप डोरोथी सीट भी कह सकते हैं। यह नाम इसे क्यों मिला, इसके पीछे जुड़ी है एक अंग्रेज महिला यानी डोरोथी की स्मृतिया।
समुद्रतल से 7520 फीट की ऊंचाई पर स्थित टिफिन टॉप प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। ऊंचे देवदार व बाज के वृक्ष इस स्थान को रमणीक बनाते हैं तो शीतल हवा दिल को सुकून पहुंचाती है। पहाड़ का टॉप होने के साथ नैनीताल के शानदार दर्शन कराने वाले इस स्थान के अंग्रेज इस कदर मुरीद हुए कि शहर के आखिरी छोर पर चार किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर इसे पिकनिक स्पॉट बना दिया और नाम दिया टिफिन टॉप। इतिहासकारों की मानें तो चित्रकारी करने वाली अंग्रेज महिला डोरोथी केलेट को यह स्थल बेपनाह पसंद था। वह अक्सर ऊंची चढ़ाई पार कर टिफिन टॉप पहुंचतीं और वहा बैठकर कागज पर नैसíगक सुंदरता को उकेरा करतीं। दुर्भाग्य से इसी स्थान पर पैर फिसलकर खाई में गिरने से उनकी मौत हो गई। डोरोथी की याद में उनके पति कर्नल जेपी केलेट समेत उनके परिजनों ने स्मृति स्थल बनाया और तब से इस स्थान को डोरोथी सीट भी कहा जाने लगा।