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मुकदमों के बोझ से दबी सूबे की अदालतें, प्रदेश में करीब डेढ़ लाख मुकदमें हैं लंबित Nainital News

तारीख पर तारीख वाली न्यायिक प्रणाली की वजह से राज्य की अदालतों में करीब डेढ़ लाख मुकदमे लंबित हैं। राज्य की जिला अदालतों में सिविल व फौजदारी केसों की संख्या बढ़ती जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 01:09 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 08:44 PM (IST)
मुकदमों के बोझ से दबी सूबे की अदालतें, प्रदेश में करीब डेढ़ लाख मुकदमें हैं लंबित Nainital News
मुकदमों के बोझ से दबी सूबे की अदालतें, प्रदेश में करीब डेढ़ लाख मुकदमें हैं लंबित Nainital News

किशोर जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट समेत जिलों की अदालतें मुकदमों के बोझ से दबी हुई हैं। न्याय में देरी की वजह से वादकारियों का न्यायपालिका को लेकर भरोसा डगमगा रहा है। तारीख पर तारीख वाली न्यायिक प्रणाली की वजह से राज्य की अदालतों में करीब डेढ़ लाख मुकदमे लंबित हैं। राज्य की जिला अदालतों में सिविल व फौजदारी केसों की संख्या बढ़ती जा रही है। खासकर राजधानी देहरादून समेत मैदानी जिलों की अदालतों में मुकदमों का बोझ अधिक है। 30 सितंबर 2019 तक की रिपोर्ट के अनुसार देहरादून जिले की अदालतों में 69190, हरिद्वार में 54084, ऊधमसिंह नगर में 37337 जबकि नैनीताल में 15014 मुकदमे लंबित हैं। ऊधमसिंह नगर में 32219, तीर्थनगरी हरिद्वार में 44189 व देहरादून में 57943 फौजदारी केस हैं। हाई कोर्ट में पहली जुलाई 2019 तक 21367 व फौजदारी 13016 केस लंबित थे।

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तीन माह में किया 7372 मामलों का निपटारा

राज्य की सर्वोच्च अदालत त्वरित न्याय के सिद्धांत का अनुपालन सुनिश्चित कर रही है। हाई कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार पहली जुलाई तक 34383 मुकदमे लंबित थे। जबकि पहली जुलाई से 30 सितंबर तक की तिमाही में 3310 सिविल व 4062 फौजदारी मामलों का निस्तारण किया। जिसके बाद 30 सितंबर तक 34058 मामले लंबित हैं।

लंबित मुकदमे

जिला   लंबित मुकदमे

अल्मोड़ा-1080

बागेश्वर-408

चमोली-1061

चम्पावत-999

देहरादून-69190

टिहरी गढ़वाल-1797

हरिद्वार-54084

नैनीताल-15014

पौड़ी गढ़वाल-1713

पिथौरागढ़-1571

रुद्रप्रयाग-452

ऊधमसिंह नगर-37337

उत्तरकाशी-1531

बढ़ रहे पारिवारिक झगड़े

आधुनिकता का असर कहें, या कुछ और राज्य में पारिवारिक झगड़े बढ़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार परिवारों में फौजदारी व सिविल केस भी बढ़ रहे हैं। परिवार न्यायालयों में लंबित 11393 मामले इसी ओर इशारा कर रहे हैं। राज्य में अल्मोड़ा, देहरादून, ऋषिकेश, विकासनगर, नैनीताल, हल्द्वानी, हरिद्वार, रुड़की, लक्सर, कोटद्वार, पौड़ी, टिहरी, ऊधमसिंह नगर, काशीपुर, खटीमा समेत कुल 15 परिवार अदालतें संचालित हैं। सर्वाधिक 1409 पारिवारिक विवाद के मामले में रुड़की में जबकि टिहरी में सबसे कम 112 हैं। पूर्व अध्यक्ष हाई कोर्ट बार एसोसिएशन एमसी पंत का कहना है कि अदालतों में मुकदमों का त्वरित व समयबद्ध निस्तारण होना चाहिए, इससे न्यायपालिका के प्रति भरोसा और बढ़ेगा। सरकार को निचली अदालतों के लंबित केसों के निस्तारण के लिए 20-25 साल से प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ताओं को जज नियुक्त करना चाहिए। फास्ट ट्रैक कोर्ट की अवधारणा भी यही थी।

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