Jamrani Dam निर्माण की दिशा में बड़ा कदम, टेंडर जारी, क्राफ्ट डैम पर 1828 करोड़ होंगे खर्च
Tender issued for Jamrani Dam उत्तराखंड ही नहीं उत्तर प्रदेश की प्यास बुझाने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 47 साल पहले जमरानी बांध का प्रस्ताव बना था। बांध के जरिये बिजली उत्पादन भी किया जाना है। लेकिन मामला धरातल पर नहीं उतर सका।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : 1975 से शुरू हुई जमरानी बांध (Jamrani Dam) निर्माण की कवायद को लेकर अब बड़ी उम्मीद जगी है। इसके निर्माण के लिए टेंडर निकाले जाने की विज्ञप्ति जारी हो चुकी है। बांध, सुरंग और सुरक्षा के लिए बनने वाले क्राफ्ट डैम पर 1828 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
तीन अक्टूबर को उत्तराखंड सरकार की अधिकारिक वेबसाइट यूके टेंडर इन पर इसे अपलोड किया जाएगा। पांच दिसंबर आवेदन करने की अंतिम तिथि होगी। इसके बीच की अवधि में निर्माण से जुड़े सवालों को लेकर इच्छुक कंपनियों से सवाल-जवाब भी लिए जाएंगे।
उत्तराखंड ही नहीं उत्तर प्रदेश की प्यास बुझाने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 47 साल पहले जमरानी बांध का प्रस्ताव बना था। बांध के जरिये बिजली उत्पादन भी किया जाना है। लेकिन मामला धरातल पर नहीं उतर सका। 2019 से बांध से जुड़े सर्वे और प्रस्ताव तैयार को लेकर तेजी दिखी।
एशियन डेवलेपमेंट बैंक (एडीबी) से बजट स्वीकृति के लिए तमाम प्रयास किए गए। प्रस्तावित जमीन के सर्वे और डिजाइन को परखने के लिए स्विटजरलैंड से विशेषज्ञ भी यहां पहुंचे। लेकिन एडीबी की शर्ते खत्म होने का सिलसिला थमा नहीं। जिसके बाद 10 जून को दिल्ली में हुई अहम बैठक में बांध के निर्माण को केंद्र ने स्वीकृति दी।
तय हुआ कि पीएम कृषि सिंचाई योजना में शामिल कर 90 प्रतिशत बजट केंद्र से उपलब्ध करवाया जाएगा। जबकि दस प्रतिशत राज्य सरकार के खाते में आएगा। अब जमरानी परियोजना के अधिकारियों ने बांध, डायवर्जन सुरंग और क्राफ्ट डैम निर्माण को लेकर टेंडर विज्ञप्ति भी जारी कर दी है।
बांध के लिए अब तक हुई कवायद
- 1975 में बांध परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति संग 61.25 करोड़ रुपये जारी हुए।
- 1981 में गौला बैराज, नहरें और जमरानी कालोनी निर्माण पर 25.24 करोड़ खर्च हुए।
- 1989 में 144.84 करोड़ की डीपीआर बनी, दूसरी तरफ वन मंत्रालय की आपत्ति लगी।
- 2015, 2018 और 2019 में फिर डीपीआर बदली, एडीबी से फंडिंग के प्रयास भी हुए।
- 10 जून 2022 को यह प्रोजेक्ट पीएम कृषि सिंचाई योजना में शामिल कर लिया गया।
राज्य सरकार के जिम्मे आने वाली अहम जिम्मेदारी
जमरानी बांध के डूब क्षेत्र में छह गांव आ रहे हैं। पूर्व में हुए सर्वे में विस्थापित परिवारों की संख्या 1323 थी। इसमें संशोधन होने की पूरी संभावना है। ग्रामीण किच्छा के प्राग फार्म में बसने के लिए राजी हैं। इसके अलावा कई मांगों को भी पूरा किया जाना है। विस्थापन को लेकर प्रस्ताव बन चुका है।
कैबिनेट से इसे स्वीकृति मिलना बाकी है। इसके अलावा 14 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए केंद्र से बजट नहीं मिलेगा क्योंकि, यह परियोजना सिंचाई योजना में शामिल हुआ। पावर प्लांट निर्माण पर खर्च होने वाले करीब 122 करोड़ रुपये का बोझ भी राज्य सरकार को उठाना पड़ेगा।
जीएम जमरानी परियोजना प्रशांत बिश्नोई ने बताया कि बांध, पानी डायवर्जन टनल और क्राफ्ट डैम के निर्माण को लेकर टेंडर विज्ञप्ति जारी कर दी गई। इनके निर्माण पर 1828 करोड़ रुपये खर्च होंगे। किसी भी कंपनी के लिए प्रतिभाग करने को पांच दिसंबर अंतिम तिथि होगी।