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गुरुजी से सीखें पर्यावरण संरक्षण का पाठ, 10 साल में तैयार कर दिया 200 पेड़ों का बगीचा

पर्यावरण प्रेमी शिक्षक डा. सतीश अरोरा ने खाली पड़ी परती भूमि पर 10 साल में 200 से अधिक छायादार व फलदार पेड़ों वाला सुंदर गार्डन स्कूल में तैयार कर दिया है। जहां पेड़ की छांव में बच्चे व टीचर एकांत में अध्ययन भी करते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 06:07 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 06:07 PM (IST)
गुरुजी से सीखें पर्यावरण संरक्षण का पाठ, 10 साल में तैयार कर दिया 200 पेड़ों का बगीचा
शिक्षक डॉ. सतीश अरोरा से सीखें पर्यावरण का संरक्षण, 10 साल में तैयार कर दिया 200 पेड़ों का बगीचा

बृजेश पांडेय, रुद्रपुर : पढ़ाना उनका कर्तव्य है तो हरियाली जुनून। ड्यूटी और शौक दोनों के बीच बेहतर तालमेल से उन्होंने शिक्षा के मंदिर को आदर्श के रूप में स्थापित भी करा लिया है। बच्चों को किताबी ज्ञान से इतर जब वह पर्यावरण संरक्षण की बात करते है तो यह पाठ भी धरती पर साकार करके प्रस्तुत करते हैं। तभी तो पर्यावरण प्रेमी शिक्षक डा. सतीश अरोरा ने खाली पड़ी परती भूमि पर 10 साल में 200 से अधिक छायादार व फलदार पेड़ों वाला सुंदर गार्डन स्कूल में तैयार कर दिया है। जहां पेड़ की छांव में बच्चे व टीचर एकांत में अध्ययन भी करते हैं। इतना ही नहीं विद्यार्थी भी उनसे सीख लेकर अब सिर्फ पौधे नहीं रोपते बल्कि पेड़ बनने तक उसका संरक्षण भी करते हैं।

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जनता इंटर कालेज रुद्रपुर के प्रधानाचार्य डा. सतीश अरोरा शुरू से पर्यावरण के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। 2006 में उन्होंने बतौर सहायक अध्यापक स्कूल ज्वाइन किया। दो माह बाद ही प्रधानाचार्य पद पर कार्यभार संभाल लिया। यहां से पहले वह आदित्य नाथ झा राजकीय इंटर कालेज, इंटर कालेज छोई रामनगर और अल्मोड़ा में भी सेवा दे चुके हैं। पर्यावरण के प्रति उनका लगाव ही था कि जहां भी रहे हरियाली के प्रति समर्पित रहे। रुद्रपुर में उनकी ज्वाइनिंग के समय विद्यालय में छात्र संख्या करीब 1500 थी।

स्कूल के पीछे की ओर दो बीघा से अधिक भूमि खाली पड़ी थी। यहां उन्होंने शीशम, सागौन, आंवला, अमरूद, जामुन आदि के पौधे लगा दिए। पौधों को खाद-पानी देने से लेकर नियमित देखरेख का जिम्मा खुद संभाला। 2016 तक स्थिति यह थी स्कूल हरियाली से लकदक हो गया।200 से अधिक पेड़ों वाले इस गार्डन में डा. अरोरा आज भी पौधे रोपते रहते हैं। फूल, सजावटी व फलदार पौधे धीरे-धीरे बड़े हो रहे हैं। छात्र भी जब अपने गुरुजी की मेहनत को देखते हैं तो प्रेरित होते हैं।

एकांत में पेड़ की छांव में पढ़ाई

वैसे तो स्कूल में बच्चों का कोई पीरियड खाली नहीं रहता है लेकिन खाली रहने पर बच्चे या शिक्षक एकांत में पेड़ की छांव में अध्ययन करना चाहें तो उनके लिए गार्डन में जगह-जगह सीमेंट की कुर्सियां व बेंच भी बनाए गए हैं। टहलने, कार्यालय व खेल मैदान तक आने-जाने के लिए खूबसूरत सड़क तैयार कराई गई है। उसके दोनों तरफ फुलवारी आकर्षित करती है।

स्‍कूल को दो बार मिल चुका है राज्य पुरस्कार

वर्तमान में जनता इंटर कालेज की छात्रसंख्या करीब दो हजार से अधिक है। इसी परिसर में 2015 से प्राथमिक और 2017 से बालिका इंटर कालेज भी अलग से संचालित हो रहा है। इन दोनों में भी करीब 1300 विद्यार्थी हैं। तीनों स्कूलों के संचालन का जिम्मा सतीश अरोरा पर ही है। वह शिक्षकों के कार्य की भी मानीटरिंग करते हैं। इसी का परिणाम है कि उत्कृष्ट परीक्षाफल देने वाले राज्य के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों को मिलने वाला दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार दो बार जीत चुके हैं।

पौधों को लगाने से अधिक उनका संरक्षण जरूरी

जनता इंटर कालेज, रुद्रपुर के प्रधानाचार्य डा. सतीश अरोरा ने बताया कि बच्चों को शुरू से ही शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति भी जागरूक करना होगा। यहां स्कूल में पढ़ाई के साथ ही पौधों के प्रति लगाव और संरक्षण की भी सीख दी जाती है। लोगों से अपील है कि पौधे हजार की जगह भले 10 ही लगाएं लेकिन उनका संरक्षण का जिम्मा जरूर लें।


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