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शिक्षक मजूमदार ने अब तक 1500 से अधिक पौधों को पोषकर बनाया वृक्ष, अनूठा है प्रकृत‍ि से लगाव

शिक्षक बनकर बच्चों का भविष्य संवार रहे राजकीय प्राथमिक विद्यालय हल्दी के प्रधानाध्यापक बाबू मजूमदार पर्यावरण संवारने का भी जिम्मा उठाया है। सिर्फ पौधारोपण नहीं बल्कि उसे संरक्षित करने के साथ ही लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 03:55 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 03:55 PM (IST)
शिक्षक मजूमदार ने अब तक 1500 से अधिक पौधों को पोषकर बनाया वृक्ष, अनूठा है प्रकृत‍ि से लगाव
शिक्षक मजूमदार ने अब तक 1500 से अधिक पौधों पोषकर बनाया वृक्ष, अनूठा है प्रकृत‍ि से लगाव

रुद्रपुर, जेएनएन : शिक्षक बनकर बच्चों का भविष्य संवार रहे राजकीय प्राथमिक विद्यालय हल्दी के प्रधानाध्यापक बाबू मजूमदार पर्यावरण संवारने का भी जिम्मा उठाया है। सिर्फ पौधारोपण नहीं बल्कि उसे संरक्षित करने के साथ ही लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं। वह अब तक 1500 से अधिक पौधरोपण कर चुके हैं। जबकि इतने ही पौधों की सेवा कर उन्हें वृक्ष बनाया है।

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मूल रूप से रुद्रपुर के ट्रांजिट कैंप निवासी बाबू मजमूदार हल्दी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उन्हाेंने बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के साथ ही उन्हें निश्शुल्क ट्यूशन भी देते हैं। पिछले छह वर्षों से मजूमदार पर्यावरण को संवारने में जुटे हैं। नेशनल हाइवे से लेकर नैनीताल रोग, स्कूल, ग्रामीण क्षेत्र, सिडकुल में अब तक डेढ़ हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। इनका लक्ष्य सिर्फ पौधे लगाने तक ही सिमित नहीं है बल्कि वह स्वयं ही हर सप्ताह पौधों की देखभाल करते हैं।

निराई-गुड़ाई के अलावा उनमें पानी डालना, उनकी सूखी टहनियों को तोड़कर अलग करना और जिन क्षेत्रों में पौधों की सुरक्षा पर खतरा रहने की संभावनाएं हैं वहां ट्री गार्ड यानि लाेहे के जाल, बांस की फंटियां आदि से सुरक्षित करते हैं। इसके लिए न तो किसी से कोई सहायता लेते हैं और न कोई मांग करते हैं। स्वयं से ही पर्यावरण के लिए लगे हुए हैं। मजूमदार का लक्ष्य हैं कि जिले में वे पांच हजार से अधिक पाैधों को वृक्ष बनाएं। अब तक उन्होंने नीम, पीपल, केला, अमरूद, आम, शीशम, सैजन, अशोक सहित अन्य प्रकार के पौधे लगाए हैं। इनमें से करीब 95 फीसद पौधे अब वृक्ष का रूप लेना शुरू कर दिया है।

छह साल से जुटे हैं मुहिम में

शुरू में स्वयं के घर से पौधारोपण की शुरूआत की। पढाई के बाद नौकरी लगी और लगे बच्चों को पढ़ाने। इसके बाद दिन प्रतिदिन बढ़ते प्रदूषध को देखते हुए उन्होनें छह वर्ष पहले पर्यावरण संवारने का संकल्प लिया। तब से बाबू मजूमदार पर्यावरण संरक्षण के लिए जुटे हैं।

150 लोगों को जागरूक करने का दिखा असर

जागरूकता अभियान सिर्फ खानापूृर्ति ही न बन जाए या उनके अभियान का असर क्या रहा इसकी मानिटरिंग भी करते हैं। स्थिति यह रही कि हल्दी व अन्य आस पास क्षेत्रों में जहां उन्होंने अभियान चलाया है वहीं के करीब 100 से 150 परिवारों ने अपने घरों व आस पास में पौधरोपण किया है। यही नहीं बल्कि ट्री गार्ड लगाकर उन्हें सुरक्षित रखने का भी प्रयास किया है।

बच्चों संग चलाते हैं अभियान

स्कूल खुलने के दौरान गांव मेें अौर आस पास क्षेत्र में बाबू मजूमदार जागरूकता अभियान चलाते हैं। जिसमें पौधों लगाने के साथ ही उनकी सुरक्षा पर अधिक जोर देते हैं। ग्रामीणों को वृक्ष से होने वाले फायदे और न होने पर नुकसान बताते हैं।

लॉकडाउन में स्कूल में जिंदा किया 50 पौधे

लाकडाउन के दौरान सभी स्कूल बंद थे। इस दौरान बच्चों को आनलाइन शिक्षा घर से नहीं बल्कि स्कूल से देते थे। खाली समय में हर दूसरे तीसरे दिन स्कूल परिसर में पौधारोपण करते थे। जिसमें नीम, अमरूद, केला सहित अन्य पौधे शामिल है। इस दौरान उन्होंने सात माह में करीब 50 पौधों को लगाकर तैयार कर दिया है।

पर्यावरण की सुरक्षा की शुरुआत घर से

बाबू मजूमदार वैसे तो छात्र थे तभी से पर्यावरण को लेकर जागरूकत थे। पौधे लगाना और उनकी सेवा करना उनका शौक रहा। लेकिन पिछले छह साल से उन्होंने मानों खुद को पर्यावरण को समर्पित किया है। कहते हैं कि अपने घरों के आस पास जो भी भूमि हो उसपर पौधारोपण करें। पर्यावरण सरंक्षण की शुरूअात सबसे पहले अपने घर से करें।


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