Move to Jagran APP

चीन सीमा को जोडऩे वाला तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग 34 दिन बाद भी बंद

मुख्यमंत्री की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का दावा और जिलाधिकारी द्वारा 10 नवंबर तक सीमा मार्ग खोलने की चेतावनी समय बीत चुका है। पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील में चीन सीमा को जोडऩे वाला तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग 34 दिन बाद भी नहीं खुला है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 06:52 PM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 06:52 PM (IST)
चीन सीमा को जोडऩे वाला तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग 34 दिन बाद भी बंद
चीन सीमा को जोडऩे वाला तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग 34 दिन बाद भी बंद

संवाद सूत्र, धारचूला : मुख्यमंत्री की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का दावा और जिलाधिकारी द्वारा 10 नवंबर तक सीमा मार्ग खोलने की चेतावनी समय बीत चुका है। पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील में चीन सीमा को जोडऩे वाला तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग 34 दिन बाद भी नहीं खुला है। दारमा के प्रवेश द्वार दर के पास लगातार पहाड़ से मलबा गिर रहा है। ग्रामीण जान हथेली पर रख कर आवाजाही कर रहे हैं।

loksabha election banner

मानसून काल में 118 दिनों तक लगातार बंद रहने के बाद 20 दिनों के लिए खुला दारमा मार्ग 17 से 19 अक्टूबर की बारिश मेंं फिर से बंद हो गया। दो भारी भरकम सड़क निर्माण विभाग सीमा सड़क संगठन और केंद्रीय लोनिवि से संचालित इस मार्ग के नहीं 34 दिन बाद भी नहीं खुलने से सीमा सड़कों के हाल खुद बया हो रहे हैं।

इस सड़क को प्राथमिकता के साथ खोलने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो बार विभागोंं से अपील की। जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान लगातार मार्ग खोलने के लिए केंद्रीय लोनिवि को निर्देश देते रहे । बीते दिनों उन्होंने 10 नवबंर तक मार्ग नहीं खुलने पर चेतावनी भी दी थी । प्रदेश और जिले के मुखियाओं की चेतावनी के बाद मार्ग नहीं खुलना कई सवाल खड़े कर रहा है।

माइग्रेशन काल में तल्ला, मल्ला दारमावासियों ने झेली थी परेशानी

मानसून काल में जब मार्ग बंद हुआ तो चालीस गांव 118 दिनों तक शेष जगत से कटे रहे। इस दौरान इस क्षेत्र में गैस सिलिंडर तीन हजार व्यय कर ग्रामीणों को मिलने लगा था। नमक साठ रु पये किलो हो गया था। आवश्यक सभी सामग्री की कीमत तीन से चार गुना महंगी हो गई थी। दारमा के माइग्रेशन करने वाले 14 गांवों सहित तल्ला दारमा और चौदास के लगभग 30 गांवों के ग्रामीणों ने भारी परेशानी झेली थी। मात्र बीस दिन के लिए मार्ग खुलने के बाद फिर बंद होने से माइग्रेशन करने वाले ग्रामीणों को एयरलिफ्ट कर धारचूला लाया गया। पालतू पशु और उनके स्वामी बर्फ के बीच गांवों में फंसे रहे । जिसमें अभी भी कई पशु और उनके मालिक दारमा में ही हैं।

दर, बौगलिंग के ग्रामीण अभी भी झेल रहे हैं परेशानी

दारमा के प्रवेश द्वार में स्थित दर और बौगलिंग के ग्रामीण शीतकाल में भी अपने ही गांवों में रहते हैं। इन गांवों का बाजार धारचूला है। ग्रामीणों को सामान खरीदने से लेकर उपचार तक के लिए धारचूला आना पड़ता है। दर के पास पहाड़ से लगातार मलबा गिर रहा है। मार्ग चलने योग्य तक नहीं है। क्षेत्र के समाज सेवी नरेंद्र सिंह नरु का कहना है कि दारमावासियों की पुकार शासन-प्रशासन तक सुनाई नहीं दे रही है। वह बताते हैं कि ग्रामीणों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। अधिकारी और नेता केवल निर्देश देते हैं धरातल पर कुछ भी नहीं हो रहा है। दारमा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

मार्ग खोलने का कार्य जारी

धारचूला के उपजिलाधिकारी एके शुक्ला ने कहा कि केंद्रीय लोनिवि का मार्ग खोलने के लिए लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। मार्ग खोलने का कार्य किया जा रहा है। मार्ग को लेकर प्रशासन मानिटङ्क्षरग कर रहा है। दर के पास मार्ग को ठीक करने के निर्देश दिए गए हैं।

मार्ग खोलने का कार्य जारी

सीपीडब्ल्यूडी के ईई विरेंद्र कुमार ने बताया कि मार्ग खोलने का कार्य जारी है। मानसून काल और अक्टूबर माह की बारिश से मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है। मौसम सुधरने के बाद से लगातार मार्ग खोलने का कार्य जारी है। उच्च हिमालय में सेला तक मार्ग खुल चुका है। दर के पास भूस्खलन हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.