ड्रग्स प्रकरण मामले में एसएसजे विश्वविद्यालय का छात्र संघ भवन सील, कमेटी के सामने उपस्थित नहीं हुए निदेशक
ड्रग्स प्रकरण पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन को सील कर दिया गया है। ताकि साक्ष्यों से कोई छेड़छाड़ न की जा सके।
अल्मोड़ा, जेएनएन : ड्रग्स प्रकरण पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन को सील कर दिया गया है। ताकि साक्ष्यों से कोई छेड़छाड़ न की जा सके। इधर बुलावे के बावजूद छुट्टी पर गए परिसर निदेशक के साथ ही अधिष्ठाता छात्र कल्याण (डीएसडब्ल्यू) जांच कमेटी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। इस पर मामले की तहकीकात को बुलाई गई बैठक स्थगित कर दी गई। अब कमेटी ने भवन का ताला तुड़वाने के दौरान मौके पर मौजूद रहे निदेशक, डीएसडब्ल्यू व कुलानुशासक को 18 सितंबर को दोबारा बुलाया है।
याद रहे बीती सोमवार को एनएसयूआइ के हंगामे के बाद छात्र संघ भवन का ताला तुड़वा दिया गया था। कमरे से स्मैक में इस्तेमाल होने वाली सामग्री मिलने से विवि प्रशासन सकते में आ गया था। परिसर निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कमेटी गठित कर उसी दिन जांच के निर्देश दिए। मगर बीते मंगलवार को अचानक छुट्टी पर चले गए। इधर कुलानुशासक डॉ. संजीव आर्या ने इस्तीफा भेज दिया। आरोप प्रत्यारोप के बीच एनएसयूआइ व अभाविप कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन कर विवि परिसर में धरना दिया।
बुधवार को जांच कमेटी अध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल ने बैठक बुलाई। चूंकि छात्र संघ भवन का ताला तोड़े जाने के दौरान निदेशक, डीएसडब्ल्यू प्रो. जया उप्रेती व कुलानुशासक डॉ. संजीव मौजूद थे। इसलिए उन्हें पक्ष रखने के लिए कहा गया था। मगर निदेशक व डीएसडब्ल्यू पहुंचे ही नहीं। इस पर बैठक स्थगित कर अब 18 सितंबर को बुलाई गई है। अलबत्ता, भवन सील कर दिया गया है। इस मौके पर कमेटी में शामिल प्रो. एके नवीन, डॉ. डीएस बिष्टï, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राजन जोशी व महासचिव आशीष पंत आदि मौजूद रहे।
जांच कमेटी के अध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल ने बताया कि छात्र संघ भवन उसी दिन सील कर दिया जाना चाहिए था। ऐसे में जिसकी जांच की बात कही जा रही है, उसे कोई नष्ट कर सकता है। इसलिए आज सील करा दिया। 18 सितंबर को दोबारा बैठक कर पूछताछ कर जानकारी जुटाई जाएगी। कमेस्ट्री के एचओडी प्रो. सुशील जोशी ने बताया कि हम जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। आत्ममंथन की जरूरत है। कॉलेज के अंदर नशे की गतिविधियां शर्मनाक है। पूरी जांच हो। दोषियों को दंड मिले। ताकि पुनरावृत्ति न हो।