विषयों के अभाव में बाहरी जिलों में पढ़ने जा रहे चम्पावत के छात्र
कहने को तो चम्पावत कॉलेज को स्नातकोत्तर का दर्जा प्राप्त है लेकिन कॉलेज की स्थापना के 23 साल बाद भी महाविद्यालय में महत्वपूर्ण विषयों का टोटा बना हुआ है। वर्षों से एमए में केवल दो ही विषय संचालित हो रहे हैं।
चम्पावत, जेएनएन : कहने को तो चम्पावत कॉलेज को स्नातकोत्तर का दर्जा प्राप्त है, लेकिन कॉलेज की स्थापना के 23 साल बाद भी महाविद्यालय में महत्वपूर्ण विषयों का टोटा बना हुआ है। वर्षों से एमए में केवल दो ही विषय संचालित हो रहे हैं। एमएससी तथा एमकॉम करने के लिए विद्यार्थियों को मजबूरन दूसरे जिलों के कॉलेजों में जाना पड़ रहा है।
वर्ष-1997 में चम्पावत में राजकीय महाविद्यालय की नींव पड़ी। तब केवल कला संकाय में स्नातक की स्वीकृति मिली और बीए में राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास विषय संचालित हुए। छात्र नेताओं के संघर्ष के बाद वर्ष 2003-04 में एमए में राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र विषय खुले। 2009 में छात्रसंघ के प्रयास से बीएससी की स्वीकृति मिली। 2013 में छात्रसंघ ने गृहविज्ञान और भूगोल विषय को लेकर आवाज उठाई और वह भी संचालित हुए।
छात्र नेता बीए में संस्कृत, शिक्षाशास्त्र, मनोविज्ञान, एमए में अंग्रेजी, इतिहास, हिंदी, समाजशास्त्र, एमएससी व एमकाम की स्वीकृति, पुस्तकालय प्रभारी का पद सृजित करने, खेल प्रशिक्षक की तैनाती और खेल मैदान बनाने की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन, उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती ही साबित हो रही है। सरकार से छात्र नेताओं ने कई बार समस्याओं के निराकरण को लेकर मांग उठाई, लेकिन क्षेत्रीय नुमाइंदों की अनदेखी के चलते समाधान नहीं हो पाया। जिस कारण विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई के लिए पिथौरागढ़, लोहाघाट, खटीमा आदि कॉलेजों का रुख करना मजबूरी बना हुआ है।
छात्र नेता मोहित सिंह ने बताया कि महाविद्यालय कई वर्षों से समस्याओं से जूझ रहा है। समस्याओं के निराकरण के लिए छात्रसंघ व विद्यार्थियों का सहयोग लेकर कई बार संघर्ष किया गया। हर बार मंत्री व नेताओं ने सिर्फ आश्वासन दिया। महाविद्यालय की समस्याओं को लेकर उनका प्रयास जारी है। जल्द ही सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री से इस संबंध में फिर से मुलाकात करेंगे। प्राचार्य डॉ. राधेश्याम भट्ट ने कहा कि कॉलेज की समस्याओं को लेकर कई बार उच्च शिक्षा विभाग को अवगत कराया जा चुका है। महाविद्यालय स्तर से निदेशालय में निरंतर पत्राचार भी किया जा रहा है। उम्मीद है कि कार्रवाई होगी।
शासन में लटकी फाइल, नहीं हुई सुनवाई
चम्पावत : विषयों को स्वीकृति समेत कई समस्याओं पर महाविद्यालय स्तर और फिर निदेशालय स्तर से फाइल शासन में भेजी गई। शासन में यह फाइल करीब 2009 से लटकी हुई है। इसको लेकर बीते माह छात्रसंघ द्वारा धरना प्रदर्शन व अनशन भी किया गया लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया। छात्रों ने उच्च शिक्षा मंत्री से भी मुलाकात की। उन्होंने भी समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया लेकिन आज तक धरातल में कुछ नहीं हुआ।
चम्पावत कॉलेज की प्रमुख समस्याएं
- - एमएससी और एमकॉम स्वीकृत नहीं
- - बीए में संस्कृत, शिक्षाशास्त्र, मनोविज्ञान विषय नहीं
- - बीए में हिंदी व अंग्रेजी के शिक्षक नहीं
- - एमए में अंग्रेजी, इतिहास, हिंदी, समाजशास्त्र विषय नहीं
- - पुस्तकालय प्रभारी सहित स्टॉफ का पद सृजन तक नहीं
- - खेल प्रशिक्षक का पद भी स्वीकृत नहीं
- - महाविद्यालय में खेल मैदान का अभाव