गैरसैंण कमिश्नरी बनाए जाने पर कुमाऊं व गढ़वाल के बीच सामाजिक व सांस्कृतिक रिश्तों को मिलेगी मजबूती
गैरसैंण को कमिश्नरी बनाए जाने पर कुछ राज्य आंदोलनकारियों ने जहां इसे उत्तराखंड की अवधारणा के उलट बताया है। वहीं तमाम लोगों ने इसे कुमाऊं व गढ़वाल के बीच सामाजिक एवं सांस्कृतिक रिश्तों की मजबूती की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।
अल्मोड़ा, जागरण संवाददाता : गैरसैंण को कमिश्नरी बनाए जाने पर कुछ राज्य आंदोलनकारियों ने जहां इसे उत्तराखंड की अवधारणा के उलट बताया है। वहीं तमाम लोगों ने इसे कुमाऊं व गढ़वाल के बीच सामाजिक एवं सांस्कृतिक रिश्तों की मजबूती की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया। वहीं छोटे राज्य में छोटी प्रशासनिक इकाइयों के गठन को जनहित में बताया है। उधर बुद्धिजीवियों ने तर्क दिया कि गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाए जाने से ब्यूरोक्रेसी हावी होगी। मगर यह भी कहा कि यह गढ़ कुमौं की सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी। पर्यटन विकास व रोजगार की संभावनाओं को बल भी मिलेगा।
गैरसैंण को कमिश्नरी बनाए जाने से ब्यूरोक्रेसी बढ़ेगी। सरकारी राजस्व पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। हालांकि कमिश्नरी बनने से कुमाऊं व गढ़वाल के बीच समरसता भी बढ़ेगी। सांस्कृतिक गतिविधियों का आदान प्रदान भी होगा।
- प्रो. वीडीएस नेगी, इतिहासकार एसएसजे परिसर अल्मोड़ा
जब तक गैरसैंण पूर्णकालिक राजधानी का दर्जा नहीं दे दिया जाता तब तक राज्य का समग्र विकास असंभव है। राज्य आंदोलन की अवधारणा थी कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाई जाए। मगर जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण को वह सम्मान नहीं मिल सका है जिसका वह हकदार है। रानीखेत, डीडीहाट, काशीपुर, पुरोला समेत हरिद्वार के कुछ हिस्सों को नए जिलों का दर्जा दिया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य आदि पर भी राज्य सरकार को विशेष फोकस करना चाहिए।
- महेश परिहार, राज्य आंदोलनकारी एवं जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष अल्मोड़ा
ग्रीष्मकालीन राजधानी के बाद कमिश्नरी जनभावनाओं के उत्तराखंड की सोच को पूरा करेगा। कमिश्नरी बनने से गैरसैंण में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। पर्यटन गतिविधियां बढ़ेंगी। रोजगार व आजीविका के नए अवसर सृजित होंगे। सबसे बड़ी बात यह कि कुमाऊं व गढ़वाल के बीच सामाजिक सांस्कृतिक रिश्ते और मजबूत होंगे। मुख्यमंत्री की यह घोषणा मील का पत्थर साबित होगी।
- धन सिंह रावत, राज्य आंदोलनकारी रानीखेत
गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने से द्वाराहाट व चौखुटिया को बड़ा लाभ मिलेगा। राज्य आंदोलन के दौरान ही छोटी प्रशासनिक इकाइयों की मांग की जा रही थी। कमिश्नरी बनने के बाद अब द्वाराहाट पृथक जिले के निर्माण की उम्मीदों को पंख लगे हैं।
- मनोज अधिकारी, राज्य आंदोलनकारी द्वाराहाट
यह सराहनीय कदम है। छोटे राज्य में छोटी प्रशासनिक इकाइयों का गठन जनहित में है। गैरसैंण में कमिश्नरी बनने से आने वाले दौर में चारों जिलों को अच्छा लाभ मिलेगा। कुमाऊं व गढ़वाल के बीच दूरियां भी खत्म हो जाएंगी।
- वीरेंद्र बजेठा, राज्य आंदोलनकारी द्वाराहाट
ग्रीष्म कालीन राजधानी के बाद आज के बजट में गैरसैंण को कमिश्नरी बनाना दूरदर्शी कदम है। अगले 10 वर्षों में गैरसैंण राजधानी के विकास पर 25 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वहीं चौखुटिया में हवाई पट्टी के लिए 20 करोड़ रुपये अवमुक्त किए गए हैं। नई कमिश्नरी बनने से पर्वतीय जिलों की तरक्की संभव हो सकेगी।
रवि रौतेला, भाजपा जिलाध्यक्ष
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