भाजपा के दिग्गजों में शुमार थे स्व. सोबन सिंह जीना पर नहीं छोड़ा पहाड़
जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शुमार स्व. सोबन सिंह जीना महज राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि कुशल वक्ता कूटनीतिज्ञ कानूनविद के साथ पर्वतीय विकास के पैरोकार भी रहे।
अल्मोड़ा, जेएनएन : जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शुमार पूर्व पर्वतीय विकास मंत्री (उत्तर प्रदेश सरकार में) स्व. सोबन सिंह जीना महज राजनीतिज्ञ ही नहीं, बल्कि कुशल वक्ता, कूटनीतिज्ञ, कानूनविद के साथ पर्वतीय विकास के पैरोकार भी रहे। खास बात कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी होने के बावजूद बड़ी राजनीति के लिए पहाड़ का मोह नहीं छोड़ा। गुलामी के दौर में जिला परिषद के सदस्य चुने जाने पर सबसे पहले पर्वतीय क्षेत्रों में विद्यालय स्थापित कराए ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
1977 में पहली बार बारामंडल क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए विधायक चुने गए स्व. सोबन सिंह जीना ने आपातकाल का दौर भी झेला था। अटल जी जब भी कटु अनुभव भुलाने के बहाने पहाड़ की यात्रा पर अल्मोड़ा पहुंचे तो जीना से जरूर मिले। तब सोबन सिंह ने अटल जी के सामने अविकसित पहाड़ की तस्वीर बदलने की इच्छा जाहिर की। पिता व अन्य बुजुर्गों के हवाले से संस्मरण सुनाते हुए स्व. जीना के पोते मनीष जीना बताते हैं कि अटल जी तब आवास पर कई दिन ठहरे थे। सोबन सिंह के पहाड़ के प्रति लगाव के मद्देनजर भोजन के दौरान अटल जी ने पहाड़ की चुनौतियों पर एक काव्य रचना भी की।
अटल जी ने दिया था पद
1977 में बतौर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल जी ने तत्कालीन उत्तर प्रदेश की अपनी सरकार में उन्हें पर्वतीय विकास मंत्री का पद दिया। उनके साथ मिलकर हिमालयी प्रदेश को विकसित व समृद्ध बनाने का सपना भी बुना था। 1977 में जीना अल्मोड़ा बारामंडल से यूपी विधानसभा के लिए विधायक चुने गए और उन्हें पर्वतीय विकासमंत्री बनाया गया। इस कार्यकाल में भी जीना ने समाज और वंचित तबके के लिए काफी कुछ किया। 1968 में इनकी पत्नी का निधन हो गया इसके बाद वह एकाकी जीवन जीने लगे। उनकी देखभाल का जिम्मा इनके छोटे भाई भीम सिंह के पुत्र कुंदन सिंह और उनकी पत्नी अमिता पर आ गई। 2 अक्टूबर 1989 को सोबन सिंह जीना का निधन हो गया।
इलाहाबाद से कानून की पढ़ाई, अल्मोड़ा में वकालत
चार अगस्त 1909 को सुनौली (ताकुला ब्लॉक) में जन्मे सोबन सिंह जीना की प्राथमिक शिक्षा पैतृक गांव में ही हुई। 1926 में हाईस्कूल प्रथम श्रेणी में पास कर जीआइसी अल्मोड़ा में दाखिला लिए। 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद इलाहाबाद से स्नातक फिर कानून की पढ़ाई पूरी किए। पहाड़ से लगाव ही था कि अल्मोड़ा लौट आए। यहां वकालत करने लगे। 1936 से 1948 तक जिला परिषद सदस्य चुने गए। दो अक्टूबर 1989 को पहाड़ के विकास पुरुष सोबन सिंह जीना ने दुनिया को अलविदा कह दिया।