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गोरक्षा के नाम पर गो अत्याचार, भूख से छह गयों की मौत, इतनी ही मरणासन्‍न

बिंदुखत्ता के शीशम भुजिया में का मामला प्रकाश में आया है। क्षेत्र के नंबर छह में गौरी शंकर गोलोक धाम के नाम से चलाई जा रही गोशाला में कई गायें बीमारी की चपेट में आ गई हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 03 Dec 2018 04:16 PM (IST)Updated: Mon, 03 Dec 2018 04:16 PM (IST)
गोरक्षा के नाम पर गो अत्याचार, भूख से छह गयों की मौत, इतनी ही मरणासन्‍न
गोरक्षा के नाम पर गो अत्याचार, भूख से छह गयों की मौत, इतनी ही मरणासन्‍न

लालकुआं, जेएनएन : बिंदुखत्ता के शीशम भुजिया में का मामला प्रकाश में आया है। क्षेत्र के नंबर छह में गौरी शंकर गोलोक धाम के नाम से चलाई जा रही गोशाला में कई गायें बीमारी की चपेट में आ गई हैं। यहां चारा नहीं मिल पाने के कारण छह से ज्यादा गायों की मौत हो गई है, जबकि इतने ही मरणासन्न हालत में हैं। स्थानीय लोगों ने रविवार को जोरदार प्रदर्शन कर इस प्रकार गायों के साथ अत्याचार करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

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वर्तमान में इस गोशाला में पचास के करीब गायें हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि गोरक्षा केंद्र के संचालक पर्वतीय क्षेत्रों से गायों को यहां लाते हैं और फिर उन्हें यहां पर मरने के लिए मजबूर कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह के अंदर ही छह गायें दम तोड़ चुकी हैं। गंदगी, उचित देखभाल नहीं होने व उपचार नहीं मिलने के कारण आधा दर्जन गायें मरणासन्न अवस्था में पड़ी हैं। लोगों ने प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि रखरखाव एवं देखभाल ठीक प्रकार ना होने के चलते कई पशुओं की भूख प्यास से मौत हो रही है।

गोशाला का संचालन महेश चंद्र भट्ट नाम के व्यक्ति द्वारा किया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों से लाकर गायों को यहां रखा जाता है। गाय के मरने के बाद संचालकों द्वारा कान से फुल्ली निकालकर अपने पास रख दी जाती है। प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों में हयात सिंह कोरंगा, भगवान सिंह, गोविंद कोरंगा, मेहरबान सिंह कोरंगा, ध्यान चंद्र, पवन सिंह पानू, चंचल सिंह, श्यामा देवी, प्रेमा देवी, मंजू देवी, बसंती देवी, पार्वती देवी सहित भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

गोशाला में जड़प रही हैं गायें

ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंच गई। इस दौरान जब गोशाला के अंदर देखा तो मौके पर मौजूद सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। वहां पर गंदगी के ढेर लगे थे, एक गाय मरी पड़ी थी। कई अचेत अवस्था में तड़प रही थी। यही नहीं एक मरी हुई गाय को पुआल से ढककर छुपाया गया था। गोशाला से भीषण दुर्गन्ध आ रही थी। इधर, ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मवेशियों की मौत के बाद उन्हें दफनाया तक नहीं जाता है।

पशु चिकित्सक भी आने को तैयार नहीं

इस गोशाला की गंदगी को देखकर यहां पर पशु चिकित्सक भी आने को तैयार नहीं होते हैं। वहां पर मौजूद संचालकों ने बताया कि अज्ञात बीमारी के चलते पशुओं की मौत हुई है। पशु चिकित्सकों को कई बार यहां बुलाया , लेकिन वह आने को तैयार नहीं हो रहे हैं। यहां कार्यरत मनोज बिष्ट और शांति बिष्ट ने बताया कि उन्हें मात्र चार हजार रुपये वेतन दिया जाता है। 24 घंटे 54 गायों की देखभाल कराई जाती है।

रजिस्ट्रेशन होगा तो उसे तत्काल निरस्त किया जाएगा

डॉ. पीएस भंडारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी नैनीताल ने बताया कि कई बार लिखित व मौखिक सूचना देने के बाद भी गोशाला संचालक लापरवाही बरत रहे हैं। जांच के बाद देहरादून स्थित पशुधन कल्याण बोर्ड को रिपोर्ट भेजी जाएगा। यदि गोशाला का पशु कल्याण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन होगा तो उसे तत्काल निरस्त किया जाएगा। इसके अलावा विधि विशेषज्ञों से राय लेकर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी।

पशुओं के रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं

डॉ. नीलेंद्र जोशी, पशु चिकित्सक ने बताया कि कुछ समय पूर्व उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ गाय बीमार है तो उन्होंने मौके पर जाकर गायों का स्वास्थ परीक्षण किया। अधिकांश गायों के लीवर में दिक्कत थी। इसके अलावा पशुओं के रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं थी। इतनी अधिक संख्या में गायों के बीमार होने और मर जाने की इस बार उन्हें सूचना तक नहीं दी गई है।

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