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सिखों ने मनाया प्रकाश पर्व

गुरु गोविंद सिंह जी के 5वें प्रकाशपर्व पर शुक्रवार को शहर में भव्य नगर कीर्तन निकला। निशान साहिब की अगुवाई में निकले नगर कीर्तन में सिख संगत गुरुवाणी व जो बोले सो निहाल का उद्घोष करते हुए चली। सिख युद्ध कौशल व घुड़सवार सिख योद्धाओं ने आयोजन को यादगार बना दिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 05:05 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 06:19 AM (IST)
सिखों ने मनाया प्रकाश पर्व
सिखों ने मनाया प्रकाश पर्व

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गुरु गोविंद सिंह जी के 353वें प्रकाशपर्व पर शुक्रवार को शहर में भव्य नगर कीर्तन निकला। निशान साहिब की अगुवाई में निकले नगर कीर्तन में सिख संगत गुरुवाणी व जो बोले सो निहाल का उद्घोष करते हुए चली। सिख युद्ध कौशल व घुड़सवार सिख योद्धाओं ने आयोजन को यादगार बना दिया।

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अरदास के बाद पूर्वाह्न करीब साढ़े ग्यारह बजे रामलीला मैदान से नगर कीर्तन शुरू हुआ। निडर खालसा गतका दल ने युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। पांच बाइक पर सवार युवक 'झूलदे ही रहेंगे निशान केसरी, खालसे नु मिली पहचान केसरी..' गीत गाते चल रहे थे। नगर को तोरणद्वार से सजाया गया था। संगत ने पुष्पवर्षा से कीर्तन का स्वागत किया। पंच प्यारे साहिबान की अगुवाई में फूलों से सजी पालकी पर श्रीगुरु ग्रंथ साहिब सुशोभित रहे। नैनीताल रोड से तिकोनिया तिराहा, रेलवे बाजार, मीरा मार्ग, सिंधी चौराहा होते हुए कीर्तन वापस रामलीला मैदान पहुंचा।

इसमें नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, मेयर डॉ. जोगेंद्र रौतेला, डीएम सविन बंसल, एएसपी अमित श्रीवास्तव, सीओ डीसी ढौंडियाल, सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, सुमित हृदयेश, भूपेंद्र सिंह, सुनप्रीत सिंह, अमरजीत सिंह, नरेंद्रजीत सिंह रोडू आदि भी शामिल रहे।

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गुरु गोविंद सिंह जी के उपदेश को किया जीवंत

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गुरु गोविंद सिंह जी ने समाज को नेकी व सच्चाई का रास्ता दिखाते हुए मानवता का संदेश दिया था। शुक्रवार को गुरु महाराज की याद में निकले नगर कीर्तन के जरिये सिख संगत ने गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन व उनके संदेश को समाज तक पहुंचाने का काम किया। प्रमुख संदेश पर फोकस करती दैनिक जागरण संवाददाता की लाइव रिपोर्ट :

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भाईचारा : करतारपुर साहिब कॉरिडोर

नगर कीर्तन में पहली बार करतारपुर कॉरिडोर की झांकी शामिल रही। गुरुनानक देव जी के निवास स्थान वाली यह जगह भारत-पाक बॉर्डर पर चार किमी पाकिस्तान की ओर स्थित है। बॉर्डर से चार किमी भारत की तरफ डेराबाबा नानक है। दोनों देशों की सहमति के बाद पिछले वर्ष नवंबर में इसे दोनों देशों के श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था।

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संस्कृति : डांडिया से लेकर मयूर नृत्य तक

भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है। नगर कीर्तन ने इसका परिचय कराया। पंजाब के भांगड़ा के साथ खालसा स्कूल की छात्राओं ने उत्तर प्रदेश के ब्रज का मयूर नृत्य, गुजरात का डांडिया पेश किया। कुमाऊं का पारंपरिक पिछौड़ा पहने हुए भी छात्राएं दिखीं।

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सेवा : भोजन परोसा, झाड़ू चलाई

निर्भय खालसा पंथ ने चलते वाहन में लंगर का इंतजाम किया था। करीब पांच किमी चले नगर कीर्तन में युवाओं ने पूरे रास्ते में रोटी व पनीर की सब्जी का भोजन परोसा। जगह-जगह पानी बांटा। एक हजार से अधिक सेवादारों ने कीर्तन के पीछे-पीछे चलते हुए झाड़ू चलाते हुए सेवा की।

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नशामुक्ति : नशा करता है समाज का नाश

गुरु तेगबहादुर स्कूल के बच्चों ने नशामुक्ति की तख्तियां लेकर तंबाकू, शराब, सिगरेट आदि छोड़ने का संदेश दिया। ढोल, मजीरे की थाप पर छात्राओं ने नशा मुक्ति व मानव चेतना के गीत गाए। छोटे बच्चों का उत्साह देखते बन रहा था। इसके अलावा सभी 'धर्म एक, सभी वंदे ईश्वर की संतान' का संदेश दिया।


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