शीला दीक्षित और कुमकुम नंदा की 65 साल की दोस्ती का सफर थमा NAINITAL NEWS
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के साथ ही नैनीताल स्विस होटल की मालकिन कुमकुम नंदा के साथ उनकी साढ़े छह दशक की दोस्ती का सफर भी थम गया।
नैनीताल, किशोर जोशी : दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के साथ ही नैनीताल स्विस होटल की मालकिन कुमकुम नंदा के साथ उनकी साढ़े छह दशक की दोस्ती का सफर भी थम गया। दोनों में बचपन से ही गहरी दोस्ती थी। शीला ने जीवनपर्यंत इसे निभाया और अपने बच्चों को भी दोनों परिवारों के साथ इस दोस्ती को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। शीला के निधन की खबर मिलते ही गुरुग्राम में रह रहा नंदा का परिवार शोक संवेदना के लिए दिल्ली पहुंच गया है, जबकि कुमकुम नंदा को अभी इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
कांग्रेस की वरिष्ठ राजनेता और दिल्ली की सीएम रहीं शीला दीक्षित 2015 तक साल-दो साल में नैनीताल आती थींं। वह अंतिम बार 2015 मई के अंतिम सप्ताह में कुमकुम नंदा के पति आरएल नंदा के निधन पर शोक जताने यहां पहुंची थीं। चार दिनों तक उन्होंने यहां रहकर बचपन की सहेली का दु:ख साझा किया था। कुमकुम नंदा के बेटे और नैनीताल के प्रतिष्ठित होटल व्यवसायी कवीश नंदा बताते हैं कि उनकी मां व दिल्ली की पूर्व सीएम के बीच 65 साल तक की गहरी दोस्ती रही। दोनों ने दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड, फिर दिल्ली विवि के मिरंडा हाउस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। वह बताते हैं कि शीला जब भी आतीं तो घर में ही रहती थीं। दोनों सहेलियां खूब बातें करते थीं। दोनों की आखिरी मुलाकात इसी साल फरवरी में गुरुग्राम में हुई थी। जब शीला खुद गुरुग्राम स्थित नंदा के घर गई थीं।
नैनीताल की शॉल थी बेहद पसंद
पूर्व सीएम शीला दीक्षित जब भी नैनीताल आती थीं, मल्लीताल के प्रसिद्ध दुकान रामलाल एंड संस जरूर जाती थी। दुकान के स्वामी श्याम टंडन बताते हैं कि 2015 में शीला नैनीताल आईं तो शॉल खरीदा था। वह बेटे संदीप के लिए जवाहर कट कोट भी खरीद कर ले जाती थीं। उन्हें बाल मिठाई भी बहुत पसंद थी।
शीला दीक्षित की कार्यप्रणाली से लेती रही सीख : इंदिरा
नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है। इससे गहरा आघात लगा है। शोक संदेश में इंदिरा ने कहा कि उनसे मेरे पारिवारिक संबंध रहे हैं। उनकी कार्यप्रणाली से हम सब परिचित थे। उनके काम से हमेशा सीख लेती रहती थी। उन्होंने दिल्ली को संवारने का काम किया। यातायात व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने के लिए उन्होंने ओवरब्रिज से लेकर सड़कों का जाल बिछाया था। इस काम के जरिये उन्होंने देश के राजनीतिज्ञों को बड़ा संदेश भी दिया था। उन्होंने 15 वर्ष तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए तमाम विकास के कार्य किए, जिनके चलते आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। उनके निधन से अत्यंत दुख हुआ है।