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रामनगर में विकसित होगा शहीद स्मृति त्रिफला वन

नगर क्षेत्र के आसपास तीन उपवन स्थापित करने के बाद पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पांच वर्ष से काम कर रहे स्थानीय नागरिकों का संगठन कल्पतरू वृक्षमित्र संगठन अब शहीद स्मृति त्रिफला वन विकसित करेगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 09:49 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 09:49 PM (IST)
रामनगर में विकसित होगा शहीद स्मृति त्रिफला वन

संस,रामनगर: नगर क्षेत्र के आसपास तीन उपवन स्थापित करने के बाद पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पांच वर्षो से काम कर रहे स्थानीय नागरिकों का संगठन कल्पतरु वृक्षमित्र का इरादा अब नगर में शहीद स्मृति त्रिफला वन विकसित करने का है। ताकि देश के लिए शहीद हुए जाबाज सैनिक, पुलिस कर्मी, वन कर्मी ओर उत्तराखंड के लिए शहादत दे चुके राज्य आदोलनकारियों को लोग जीवन भर याद रख सकें।

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मालूम हो कि कल्पतरु वृक्षमित्र संगठन वर्ष 2017 में गार्जिया झूलापुल में कुंवर दामोदर जैवविविधता उपवन, वर्ष 2018 में बेलगढ़ में रामनगर फाइकस गार्डन तथा वर्ष 2019 में टेढ़ा में कोसी बायोडाइवर्सिटी पार्क की स्थापना कर चुका है। इन तीनों उपवनों साठ से भी ज्यादा प्रजातियों के हजारों पौधे लगाए जा चुके हैं। जिनकी नियमित देखभाल कल्पतरु सदस्य करते रहते हैं।

यह है मकसद

निकट भविष्य में फाइकस गार्डन के क्षेत्र में ही शहीद स्मृति त्रिफला वन की स्थापना का उद्देश्य शहीदों के सम्मान के साथ पर्यावरण संरक्षण के भावों को जोड़ना है। रामनगर में स्थापित फाइकस गार्डन और कोसी जैवविविधता उद्यान के साथ मिलकर शहीद स्मृति त्रिफला वन की स्थापना एक अद्वितीय उदाहरण पेश करेगा। इस वन में न केवल हरड़ ,बहेड़ा और आंवला (संयुक्त रूप से त्रिफला) के लगभग पाच हजार पौधे रोपित किए जाएंगे। बल्कि इन पौधों को अलग अलग ब्लाक में बांटकर उन्हें उत्तराखंड व देश के लिए शहीद हुए प्रदेश के अमर शहीदों के नाम के साथ एक विशेष पहचान दी जाएगी जो पर्यावरण संरक्षण के साथ ही साथ अमर शहीदों के लिए हरित श्रद्धाजलि होगी।

कल्पतरु मित्र संगठन के सचिव मितेश्वर आनंद बताते है कि इस नेक कार्य के लिए शिवलालपुर की अधिकारी नर्सरी द्वारा लगभग एक हजार बहेड़ा के पौधे निशुल्क उपलब्ध कराए गए हैं।

शहीदों को याद रखेगी भावी पीढ़ी: इस उपवन के स्थापित होने से भावी पीढ़ी शहीदों के बलिदान को याद रखेगी। साथ ही पर्यावरण और आर्थिकी के मध्य संतुलन भी स्थापित होगा। आवला, हरड़ व बहेड़ा का औषधीय उपयोग होने के कारण इनकी उपयोगिता भी है। इस क्षेत्र में पर्यावरण व आर्थिकी के स्वस्थ संतुलन को बरकरार रखने में यह नया त्रिफला उपवन अपनी अहम भूमिका अदा करेगा।


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