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मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली खंगालने में लगे सात घंटे, कई दस्‍तावेज बरामद

सतर्कता की तीन टीमों ने सात घंटे तक उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के निलंबित कुलसचिव के ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान बैंक पासबुकें, चेकबुकें और कई अहम दस्तावेज बरामद किए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 10:33 AM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 10:33 AM (IST)
मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली खंगालने में लगे सात घंटे, कई दस्‍तावेज बरामद
मृत्युंजय मिश्रा की कुंडली खंगालने में लगे सात घंटे, कई दस्‍तावेज बरामद

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के निलंबित कुलसचिव की गिरफ्तारी के बाद सतर्कता की तीन टीमों ने सात घंटे तक उनके ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान बैंक पासबुकें, चेकबुकें और कई अहम दस्तावेज बरामद किए। वहीं दोनों दफ्तर और आयुर्वेद विवि से 12 फाइलें भी सतर्कता टीम ने कब्जे में ली हैं। कुछ महत्वपूर्ण फाइलों की बरामदगी के लिए सतर्कता मिश्रा को रिमांड पर लेगी। 

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भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे मृत्युंजय मिश्रा की गिरफ्तारी और छापेमारी में सतर्कता की तीन टीमें लगी थीं। प्रत्येक टीम में दो इंस्पेक्टर, एक-एक सब इंस्पेक्टर, चार-चार सिपाही तैनात थे। इसके अलावा एसपी विजिलेंस टीमों को मार्गदर्शन कर रहे थे। सोमवार शाम चार बजे से रात 11:30 बजे तक कार्रवाई की गई। इस दौरान मिश्रा के मोहिनी रोड स्थित घर, रायपुर के द्रोणा कॉम्पलेक्स में अमेजन ऑटोमेशन फर्म के दफ्तर और हर्रावाला स्थित विवि में गड़बड़ी से जुड़ी एक-एक फाइल खंगाली गई। 

इन फाइलों को सतर्कता टीम ने अपने कब्जे में ले लिया है। अब बुधवार से फाइलों का बारीकी से अध्ययन किया जाएगा। इसके अलावा बैंक खातों के आधार पर लॉकर की भी जानकारी जुटाई जाएगी। सतर्कता के एसएसपी डी सेंथिल अबुधई कृष्णराज ने बताया कि कुछ फाइलों की बरामदगी के लिए मिश्रा को रिमांड पर लिया जाएगा। इसके अलावा बैंक खातों की डिटेल और अभी तक सामने नहीं आई प्रॉपर्टी को लेकर भी पूछताछ की जाएगी।बिहार और यूपी में भी होगी कार्रवाई 

सतर्कता विभाग मिश्रा के लखनऊ और भागलपुर स्थित ठिकानों पर भी छापेमारी कर सकती है। इसके लिए गोपनीय तरीके से कार्रवाई होगी। जल्द टीमें इन ठिकानों को रवाना होंगी। इसके अलावा मिश्रा के यहां रहने वाले करीबियों से भी पूछताछ की जा सकती है। दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त कार्यालय में मिश्रा के कार्यकाल से जुड़े दस्तावेजों पर भी विजिलेंस की नजर है। दिल्ली में मिश्रा ने क्या-क्या काम कराए, सभी जांच में शामिल किए जाएंगे।

कहां से आए 10 लाख, होगी जांच 

छापेमारी के दौरान मृत्युंजय मिश्रा और शिल्पा त्यागी के घर से मिले पांच-पांच लाख रुपये किस बैंक से निकाले या कहां से आए, इसकी भी सतर्कता टीम जांच करेगी। इसके लिए दोनों को नोटिस जारी होगा। ताकि रकम को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके। फिलहाल सतर्कता ने 10 लाख की रकम को केस प्रॉपर्टी में शामिल कर दिया है।

मोबाइल और डायरी खोलेगी राज 

सतर्कता ने मृत्युंजय मिश्रा के मोबाइल फोन, घर में मिली डायरी को भी कब्जे में लिया है। मोबाइल की कॉल डिटेल और मैसेज खंगाले जाएंगे, ताकि पता चल सकेगा कि मिश्रा के संपर्क में कौन-कौन लोग थे। इसके अलावा डायरी में मिश्रा ने जो रिकार्ड रखा है, उसको भी जांच में शामिल किया जाएगा। वहीं मिश्रा के व्हाट्सएप और फेसबुक एकाउंट से भी सतर्कता टीम सबूत जुटाएगी।

शिल्पा और नूतन भी राजदार

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के निलंबित कुलसचिव डा. मृत्युंजय मिश्रा के असल राज शिल्पा और नूतन से पूछताछ में खुल सकते हैं। सतर्कता विभाग भी इसकी उम्मीदें लगाए हुए है। फर्म का संचालन हो, या फर्जी दस्तावेजों से बैंक खाते खोलने की जानकारी, यह सब दोनों से पूछताछ के बाद ही साफ हो पाएगा। 

भ्रष्टाचार और जालसाजी में गिरफ्तार डा.मृत्युंजय मिश्रा के साथ पत्नी श्वेता मिश्रा के अलावा सतर्कता विभाग ने शिल्पा त्यागी और नूतन रावत का नाम भी जोड़ा है। दोनों महिलाएं आयुर्वेद विवि में कंप्यूटर से लेकर फर्नीचर आदि की आपूर्ति करने वाली फर्म की मालिक बताई जा रही हैं। इन्हीं के नाम हर्रावाला स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में फर्जी दस्तावेजों से खाते खोलने की पुष्टि सतर्कता विभाग ने की है। मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को रायपुर क्षेत्र में रहने वाली शिल्पा से सतर्कता विभाग ने पूछताछ की, लेकिन नूतन रावत के बारे में अभी जानकारी नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि नूतन मूल रूप से पौड़ी की रहने वाली हैं। नेहरू कॉलोनी के पास वह क्रिएटिव इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म का संचालन करती हैं। एसपी सतर्कता प्रमोद कुमार का कहना है कि दोनों से गहन पूछताछ की तैयारी की जा रही है। इसके बाद ही फर्म की असलियत, बैंक खातों से लाखों रुपये का ट्रांजेक्शन और मिश्रा के करीबियों के बारे में जानकारी मिलेगी। इनके दफ्तर में आने-जाने वाले लोगों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।

रायपुर थाने में दर्ज हुआ था मुकदमा 

सतर्कता विभाग की जांच में यह बात सामने आई कि 2010 में शिल्पा से जुड़े मामले में मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। उस दौरान शिल्पा और मिश्रा को लेकर कई चर्चाएं हुईं। मारपीट की बात भी उस दौरान सामने आई थी। एसपी सतर्कता प्रमोद कुमार का कहना है कि इस मुकदमे पर पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। लेकिन मुकदमे के पीछे क्या वजह रही होगी, इस पर अलग-अलग जानकारियां मिल रही हैं।

पर्दे के पीछे से किसने दी मिश्रा को खुली छूट

प्रदेश में महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर आए डा.मृत्युंजय मिश्रा को सत्ता से लेकर शासन तक का पर्दे के पीछे से पूरा सपोर्ट रहा है। यही कारण था कि विवाद के बाद भी मिश्रा ने जो चाहा, वह किया। सरकारों की इस खुली छूट के पीछे जो भी कारण रहा हो, लेकिन भ्रष्टाचार के बिना यह संभव नहीं था। यही कारण था कि सरकार चाहे कांग्रेस की हो, या भाजपा की, मिश्रा के लिए सबकुछ आसान सा था। 

मिश्रा महज 12 साल के भीतर 'पावरफुल' बना। महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर से लेकर कुलसचिव और अपर स्थानिक आयुक्त तक के सफर के बीच उसका दबदबा सत्ता और शासन तक रहा। सत्ता प्रतिष्ठानों की देन थी कि मिश्रा पर जब भी आरोप लगे, कार्रवाई के बजाय इनाम दिए गए। उत्तराखंड तकनीकी विवि में आरोप लगे तो उन्हें परीक्षा नियंत्रक से लेकर आयुर्वेद विवि में कुलसचिव के पद तक पहुंचा दिया गया। यहां विवाद हुआ तो हर बार क्लीनचिट मिल गई। 

कुलसचिव के पद पर विवाद बढ़ा तो शासन ने उन्हें सचिवालय तक अटैच कर दफ्तर देने की तैयारी कर दी थी। कई दिनों तक वह एक शीर्ष अफसर के दफ्तर में देखे गए। यहां नियम विरुद्ध दफ्तर और अटैच करने पर सचिवालय संघ ने विरोध किया था। इसके बाद आनन-फानन में मिश्रा को दिल्ली में अपर स्थानिक आयुक्त केपद पर तैनाती दी गई। ऐसे कई उदाहरण हैं जो मिश्रा के सत्ता प्रतिष्ठानों के रिश्तों की पुष्टि करते हैं। बावजूद इसके सरकार सबकुछ जानते हुए भी अनदेखा करती रही। 

हाल ही में उनकी कुलसचिव पद पर पुन: बहाली पर सवाल उठे तो मजबूरन निलंबन की कार्रवाई हुई। इस बीच मिश्रा का स्टिंग ऑपरेशन में नाम आया तो मिश्रा के करीबी अफसरों ने भी किनारा कर लिया। यहीं से मिश्रा की उलटी गिनती शुरू हो गई। सरकार का इशारा मिला और सतर्कता विभाग ने तय रणनीति से मिश्रा पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया और एक तीर से कई निशाने साध दिए। 

नेता और अफसरों के मैनेजर थे मिश्रा 

सत्ता से करीबी रहने के पीछे मिश्रा की मैनेजर की भूमिका भी अहम बताई जा रही है। कुछ अफसर और नेताओं के लिए मिश्रा दून से लेकर दिल्ली के सफर में खड़े रहते थे। उनके आने-जाने की व्यवस्था से लेकर अन्य सारी जिम्मेदारी मिश्रा के पास रहती थी। यही कारण था कि मिश्रा के कई काम भी शासन में बैठे अफसर आसानी से कर देते थे। कुछ बड़े अफसरों के साथ मिश्रा के नाम की चर्चाएं अक्सर हुआ करती थीं। इसमें एक अफसर के बेटे की नौकरी लगवाने और दूसरे अफसर के किचन तक मिश्रा की पहुंच बताई गई है। 

राम सिंह मीना (निदेशक सतर्कता) का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले में मिश्रा के साथ जिसका भी नाम आएगा, उसको जांच में शामिल किया जाएगा। मिश्रा के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। इनकी पड़ताल की जा रही है। जल्द बड़े खुलासे की उम्मीद है।

मिश्रा पर कसेगा आय से अधिक संपत्ति का शिकंजा

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के निलंबित कुलसचिव पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी शिकंजा कसने जा रहा है। सतर्कता विभाग ने मिश्रा की करोड़ों रुपये की संपत्ति का ब्योरा जुटाते हुए आयकर विभाग को इसकी सूची देने की तैयारी कर ली है। सत्यापन के बाद इस मामले में सतर्कता विभाग मिश्रा पर एक और मुकदमा दर्ज कर सकता है। 

सतर्कता विभाग की खुली जांच के बाद भ्रष्टाचार और जालसाजी में फंसे डा. मृत्युंजय मिश्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सतर्कता विभाग ने मिश्रा, उनकी पत्नी, बेटे और ड्राइवर के खातों में लाखों के ट्रांजेक्शन पकड़े हैं। एक करोड़ रुपये अकेले आयुर्वेद विवि से ट्रांजेक्शन होना पाया गया है। यह रकम मिश्रा ने कैसे हासिल की, इसके पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं। सतर्कता विभाग ने जांच में पाया कि मिश्रा के नाम संयुक्त रूप में मोहिनी रोड पर आलीशान कोठी है। इसके अलावा एक प्लाट, एमडीडीए कॉलोनी एक फ्लैट भी मिश्रा के नाम पर है। हालांकि मिश्रा का दावा है कि कि प्लाट और फ्लैट बेच दिया है। लेकिन वह सतर्कता विभाग को बेचने के दस्तावेज नहीं दिखा पाए। सतर्कता सूत्रों की मानें तो मिश्रा और उसके करीबियों के नाम पर कुछ और जमीन भी दून में दर्ज हैं। इसकी जानकारी रजिस्ट्रार ऑफिस से निकालने की तैयार की जा रही है। मिश्रा को असिस्टेंट प्रोफेसर से लेकर अब तक मिले वेतन और भत्तों का भी रिकार्ड जुटाया जा रहा है। ताकि आय से अधिक संपत्ति के मुकदमे में मदद मिल सके।

दून स्कूल में पढ़ता है बेटा 

डा.मृत्युंजय मिश्रा का एक बेटा और एक बेटी है। बेटा दून स्कूल में 12वीं में पढ़ता है। बेटी अभी सवा साल की है। दून स्कूल देश के महंगे स्कूलों में शुमार है। यहां की सालाना फीस करीब 15 लाख से ज्यादा बताई जाती है। दून स्कूल में दाखिले भी आसानी से नहीं होते हैं। करीब सवा लाख रुपये महीना के हिसाब से फीस देना भी आसान नहीं है। करीब दो साल पहले एमडीडीए के जेई टीपी नौटियाल की भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी हुई तो पता चला कि उनके बच्चे भी दून स्कूल में पढ़ते थे।

डी. सेंथिल अबुधई कृष्णराज (एसएसपी सतर्कता) का कहना है कि मिश्रा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। यह संपत्ति कैसे अर्जित की गई, इसकी जांच कराई जा रही है। सत्यापन होने के बाद इस मामले में आयकर विभाग को लिखा जाएगा। इसके बाद ही आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया जाएगा। 

मिश्रा ने निभाया देवर होने का फर्ज, भाभी को बिना काम वेतन

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में डॉ. मृत्युंजय मिश्रा के कुलसचिव रहते एक से बढ़कर खेल हुए हैं। हद ये कि मिश्रा ने अपनी भाभी तक को मनमाने ढंग से विवि में नियुक्ति दे दी। जिन्होंने कभी विवि तक आना भी गवारा नहीं समझा। उन्हें बिना काम वेतन दिया गया। यही नहीं, विवि के कई कर्मचारी वरिष्ठ नौकरशाह और खुद मिश्रा के घर में ड्यूटी बजाते रहे। जिन्हें तनख्वाह विवि ने दी। विवि में मिश्रा सर्वेसर्वा थे। उन्हीं की मिलीभगत से विवि की सरकारी संपत्ति पर निजी संस्था का कब्जा हो गया। विवि परिसर में ही फर्जी कोर्स संचालित होता रहा। जिस कारण कई युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है। नियुक्ति, खरीद, कॉलेजों की मान्यता समेत कई ऐसे खेल हुए हैं, सतर्कता जिनकी तह में जाने की तैयारी कर रही है। 

गायब कर्मचारियों को भी मिलता रहा वेतन 

विश्वविद्यालय में पांच कर्मचारी ऐसे भी थे, जिन्होंने कभी उपस्थिति पंजिका में हाजिरी लगाने तक की जरूरत नहीं समझी। विवि प्रशासन इन्हें बिना ड्यूटी वेतन देता रहा। ताज्जुब इस बात का है कि इसमें एक नाम मिश्रा की भाभी आरती मिश्रा का है। इन्हें कनिष्ठ सहायक के रूप में तैनाती दी गई थी। जिसके एवज में वह हर माह चालीस हजार रुपये वेतन भी ले रही थीं। पर विवि वह कभी आई ही नहीं। इसी तरह परिचालक सुरजीत पाल, वाहन चालक अवतार सिंह, माली अमर सिंह और एक अन्य कर्मचारी यशपाल सिंह को भी मिश्रा ने जहां-तहां एडजस्ट किया हुआ था। जिनका वेतन विवि से निकल रहा था। वर्तमान कुलसचिव ने उप कुलसचिव रहते यह मामला उठाया था। तब कहीं वेतन आहरण बंद किया गया।

सरकारी संपत्ति पर निजी संस्था का कब्जा 

डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने कुलसचिव पद पर रहते अपने चहेतों पर खूब मेहर बरसाई। हद ये कि विवि परिसर में सरकारी संपत्ति व भवनों तक पर निजी संस्था का कब्जा हो गया। निजाम बदलने पर कब्जा हटवाने की कार्रवाई शुरू की गई। जब मौखिक आदेश पर भी भवन खाली नहीं हुआ तो पुलिस की मदद से सभी भवनों के ताले तुड़वाए गए।

पंचकर्म के नाम पर युवाओं से खिलवाड़ 

इन्हीं कब्जेदारों में एक धनवंतरी वैधशाला के माध्यम से पंचकर्म थैरेपिस्ट का कोर्स संचालित किया गया। यहां से दो बैच पास आउट हो चुके हैं, पर किसी भी छात्र को अब तक डिप्लोमा नहीं मिला है। जबकि ऐडमिशन के वक्त इन छात्रों को रजिस्ट्रेशन व प्रथम तीन बैच को विवि के मुख्य परिसर में प्लेसमेंट की भी गारंटी दी गई थी। इस मामले में प्रभावित छात्रों ने पुलिस में भी शिकायत की है।

वरिष्ठ नौकरशाह के बेटे को बनाया फिजियोथेरेपिस्ट 

मिश्रा मैनेजमेंट के भी माहिर रहे। उन्हें पता था कि सरकार व शासन में बैठे लोगों को कैसे उपकृत किया जाए। प्रदेश के कई वरिष्ठ नौकरशाह मिश्रा के मुरीद माने जाते हैं। यही कारण है कि उनकी कुर्सी लंबे वक्त तक बची रही। एक वरिष्ठ नौकरशाह के बेटे को तो मिश्रा ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय में फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर मनमाने ढंग से नियुक्ति भी दे दी।

हर किसी के अजीज रहे मिश्रा 

सत्ता जिस किसी की भी रही मिश्रा हर किसी के अजीज रहे। उन्हें हमेशा ही सरकार व शासन का संरक्षण मिलता रहा। उन्हें कुलसचिव के पद से हटाने के आदेश हुए, तब भी दिल्ली में स्थानिक आयुक्त जैसी भारी-भरकम कुर्सी पर भी बैठा दिया गया। जबकि स्थानिक आयुक्त की कुर्सी पर आइएएस अधिकारी को ही बैठाया जाता रहा है। जैसा कि मिश्रा के लिए यह काफी नहीं था। उन्हें मेडिकल भर्ती बोर्ड में परीक्षा नियंत्रक की कुर्सी भी सौंप दी गई थी।

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