वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारण निकायों की जिम्मेदारी
हाई कोर्ट ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में पारित आदेशों की प्रगति रिपोर्ट तीन सप्ताह के भीतर शहरी विकास सचिव को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में पारित आदेशों व केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट के क्रियान्वयन मामले में तीन सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश शहरी विकास सचिव को दिए हैं। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि वैज्ञानिक तरीके से ही कूड़ा निस्तारण निकायों की जिम्मेदारी है।
हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया। समाचार पत्र में केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की 2015-16 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य के नगर निगमों, नगरपालिकाओं द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। निकायों के पास कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। नगर निगम दून, हरिद्वार द्वारा कूड़ा निस्तारण के लिए जगह चिह्नित की है, जबकि नैनीताल को पर्यावरण मंत्रालय से कूड़ा निस्तारण व प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल की क्लीयरेंस मिली है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य में खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है और 87 डंपिंग साइट चिह्नित की हैं, जहां प्रतिदिन 917 टन कूड़ा फेंका जा रहा है। अब तक किसी नगरपालिका से कूड़ा निस्तारण मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
कोर्ट ने इन दी मैटर ऑफ एनुअल रिव्यू रिपोर्ट ऑफ सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नाम से इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई की। खंडपीठ ने कहा है कि कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना नगर निकायों की जिम्मेदारी है।