काम नहीं मिला तो नैनीताल में फुटपाथ पर गाने गाकर आजीविका चलाने लगे सत्य प्रकाश
हालात भी इंसान को क्या से क्या बना देते है। कभी ऑर्केस्ट्रा में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाले सत्य प्रकाश अब फुटपाथ पर गाने गाकर आजीविका चला रहे हैं। शहर पहुंचने वाले पर्यटक भी इनके तरानों को खासा पसंद करते हैं।
नैनीताल, जेएनएन : हालात भी इंसान को क्या से क्या बना देते है। कभी ऑर्केस्ट्रा में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाले सत्य प्रकाश अब फुटपाथ पर गाने गाकर आजीविका चला रहे हैं। शहर पहुंचने वाले पर्यटक भी इनके तरानों को खासा पसंद करते हैं। जिससे अब इन्हें अच्छी खासी आमदनी भी होने लगी है। मूल रूप से बरेली निवासी सत्य प्रकाश की कहानी कभी ना हारने की प्रेरणा देती है। बढ़ती उम्र के साथ ही काम मिलना बंद हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज वह अपने हुनर के बलबूते 67 की उम्र में भी अच्छा पैसा कमा रहे हैं।
बताते हैं कि कभी वह बरेली में आर्केस्ट्रा में अपनी आवाज दिया करते थे। ऑर्केस्ट्रा का चलन कम होने और उम्र बढ़ने के साथ ही उन्हें काम मिलना बंद हो गया। जिसके बाद किसी तरह वह अपना और परिवार का भरण पोषण करने लगे। 2016 में किसी काम के चलते बरेली पहुँचे नैनीताल निवासी नजर अली से उनकी मुलाकात हुई। जहाँ सत्य प्रकाश के गाने का हुनर देख नजर अली उन्हें नैनीताल ले आए। नैनीताल पहुँचने के बाद सत्य प्रकाश फुटपाथ पर गाने लगे। गाने से कुछ आमदनी हुई तो ईको साउंड सिस्टम खरीद लिया। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह सुबह अपना साउंड सिस्टम लेकर लोगों का मनोरंजन करने निकल पड़ते है।
12 से 15 हजार महीना कमा लेते है सत्यप्रकाश
सत्य प्रकाश बताते है कि आर्केस्ट्रा में काम मिलना बंद होने के बाद वह काफी समय आर्थिक तंगी से गुजरे, लेकिन अब 67 वर्ष की उम्र में भी जिंदगी पटरी पर लौट आयी है। मुकेश के हो या मोहम्मद रफी पर्यटक उनके गाये हर तराने को खासा पसंद करते है। बताते है कि गाने के एवज में पर्यटक जो नजराना देते है। उसे रख लेते है। महीने भर में 12 से 15 हजार की आमदनी आसानी से हो जाती है।
कभी पढ़ाते थे ट्यूशन
सत्य प्रकाश सिर्फ अपनी आवाज का जादू ही नहीं बिखेरते, बल्कि वह अच्छे खासे शिक्षित भी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने बीएससी तक की पढ़ाई की है। जिसके बाद उन्होंने काफी समय तक बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम भी किया।
26 वर्षीय बेटा चलाता है टैक्सी
सत्य प्रकाश ने बताया कि उनकी पत्नी वर्षो पहले ही गुजर गयी। जिसके बाद बेटे सौरभ की उन्होंने अकेले ही परवरिश की। बेटा भी एमकॉम तक की पढ़ाई किये हुए है, लेकिन काफी समय नौकरी की तलाश के बाद अब बरेली में ही टैक्सी चलाने का काम करता है। कहते है कि कई बार बेटा उन्हें वापस बुलाकर घर पर ही रहने की जिद करता है, लेकिन वह ही मना कर देते है।