पिता के इंतजार में पाच दिन से कार में सो रहा था सरफराज, पर ले जानी पड़ी लाश
एसटीएच का कोविड वार्ड नो एंट्री जोन है। संक्रमण फैलने के डर से शौचालय में मृत मिले रईश का बेटा पांच दिन से कार में दिन बिता रहा था।
हल्द्वानी, जेएनएन : एसटीएच का कोविड वार्ड नो एंट्री जोन है। संक्रमण फैलने के डर से तीमारदारों से लेकर अन्य लोगों को भी यहां जाने की इजाजत नहीं है। इसलिए सरफराज पांच दिन तक बाहर सड़क पर पिता रईस अहमद के ठीक होकर आने का इंतजार करता रहा। रात होने पर कार को किनारे खड़ी कर उसी में सो जाता, मगर लापरवाह सिस्टम ने उसकी उम्मीदों और आस को एक ही झटके में खत्म दिया। नतीजा, गुरुवार देर शाम उसे पिता की लाश रामनगर ले जानी पड़ी।
रईस अहमद लकड़ी का कारोबार करते थे। बेटे सरफराज के मुताबिक ब्लड प्रेशर डाउन होने और शुगर बढ़ने पर पहले उन्हें काशीपुर के एक निजी चिकित्सालय ले जाया गया। चिकित्सकों ने हालत गंभीर बताने के साथ संक्रमण की आशंका पर एसटीएच रेफर कर दिया। एक जुलाई को हल्द्वानी लाया गया तो पिता की कोविड जांच हुई और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। तब से कोविड वार्ड में उनका उपचार चल रहा था। सरफराज ने बताया कि जब वह पिता को लेकर यहां आया, तब भी उनकी हालत इतनी खराब नहीं थी। उसे पूरी उम्मीद थी कि जल्द वह ठीक हो जाएंगे। इसलिए घर भी नहीं गया।
रात होने पर कार को ही आशियाना बना लेता। बीती बुधवार की सुबह जब उसे पता चला कि पिता लापता हो गए तो वह भी पुलिस और अस्पताल कर्मियों के साथ उन्हें तलाशने में जुट गया। हालांकि उसे वार्ड की तरफ नहीं जाने दिया गया। शाम के वक्त पुलिस ने उसे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी दिखाई, लेकिन पिता नजर नहीं आए। बेटे के मुताबिक रात 11 बजे तक वह खो में जुटा रहा। कभी पुलिस के साथ तो कभी अकेले। इस बीच हल्द्वानी में रहने वाले रिश्तेदार भी ढूंढने में जुटे। गुरुवार को शौचालय में पिता की लाश मिलते ही सरफराज अवाक रह गया। पुलिस अफसरों के सामने भी वह इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता रहा।